रिजर्व में गाड़ी चलाना पड़ सकता है भारी, फ्यूल पंप से लेकर इंजेक्टर तक सबको करता है खराब; नुकसान से बचने के लिए अपनाएं ये तरीका

गाड़ी को रिजर्व में चलाना फ्यूल पंप, फ्यूल फिल्टर और इंजेक्टर के लिए बेहद नुकसानदायक होता है. कम फ्यूल के कारण पंप ओवरहीट होता है, जिससे उसकी लाइफ तेजी से घटती है. रिजर्व में आने पर टैंक में जमा गंदगी फ्यूल सिस्टम में पहुंचकर इंजेक्टर का स्प्रे पैटर्न बिगाड़ देती है, जिससे माइलेज कम हो जाता है और रिपेयर का खर्च बढ़ता है.

फ्यूल पंप Image Credit: ai generated

Fuel Pump Damage: अक्सर लोग गाड़ी को तब तक चलाते रहते हैं, जब तक कि फ्यूल मीटर रिजर्व में नहीं पहुंच जाता. कई बार इसे सामान्य आदत माना जाता है, लेकिन ऑटो एक्सपर्ट के अनुसार यह गाड़ी के फ्यूल पंप, फिल्टर और इंजेक्शन सिस्टम के लिए बेहद नुकसानदायक साबित हो सकता है. एक्सपर्ट साफ कहते हैं कि टैंक को कम-से-कम 1/4 यानी 25 फीसदी फ्यूल से ऊपर रखना चाहिए. ऐसा न करने पर न सिर्फ फ्यूल पंप की लाइफ तेजी से घटती है, बल्कि बार-बार ओवरहीटिंग और गंदगी की वजह से रिपेयर पर भारी खर्च भी बढ़ता है. तेजी से बदलती ऑटो टेक्नोलॉजी के बीच यह आदत आज की गाड़ियों के लिए और भी ज्यादा खतरनाक हो गई है.

फ्यूल पंप के लिए क्यों जरूरी है पर्याप्त फ्यूल

अगर फ्यूल पंप लगातार चलता रहता है, तो इसका तापमान काफी बढ़ जाता है. इसे ठंडा रखने और लुब्रिकेट करने का काम फ्यूल ही करता है. जब टैंक में फ्यूल कम होता है, तो पंप पूरी तरह फ्यूल में डूबा नहीं रहता. नतीजतन, पंप तेजी से गरम होने लगता है. नई गाड़ियों में फ्यूल पंप हाई-प्रेशर पर काम करता है, इसलिए थोड़ा भी ओवरहीट होना इसकी लाइफ को काफी कम कर देता है. लंबे समय तक रिजर्व में गाड़ी चलाने वाले ड्राइवरों को पंप फेल होने की समस्या ज्यादा आती है.

फ्यूल सिस्टम में पहुंच जाता है टैंक का कचरा

हर फ्यूल टैंक के नीचे थोड़ी बहुत गंदगी, डस्ट पार्टिकल्स और नमी जमा हो ही जाती है. यह सामान्य है, लेकिन खतरा तब बढ़ जाता है, जब फ्यूल बहुत कम हो जाता है. रिजर्व में आने पर वही जमी हुई गंदगी फ्यूल लाइन के साथ आगे खिंचकर फ्यूल फिल्टर और इंजेक्टर तक पहुंच जाती है.

आधुनिक इंजेक्टर माइक्रोन लेवल पर काम करते हैं. जरा-सी गंदगी से भी उनका स्प्रे पैटर्न बिगड़ जाता है और माइलेज कम होने लगता है. कई केसों में इंजेक्टर रिप्लेसमेंट तक करना पड़ जाता है, जिसकी लागत हजारों रुपये में होती है.

बार-बार रिजर्व में गाड़ी चलाने से बढ़ता है रिपेयर खर्च

ऑटो सर्विस सेंटरों के अनुसार, कई गाड़ियों में फ्यूल पंप खराब होने की मुख्य वजह यही रहती है कि गाड़ी अक्सर रिजर्व में चलाई जाती है. पंप बार-बार गर्म होता है, गंदगी भरती है और आगे चलकर आसानी से फेल हो सकता है. फ्यूल पंप बदलने की लागत मॉडल के आधार पर कुछ हजार रुपये से लेकर कई बार दस हजार रुपये से भी ज्यादा हो जाती है. इसके अलावा, फ्यूल फिल्टर, फ्यूल लाइन और इंजेक्टर की सफाई या रिप्लेसमेंट का अतिरिक्त खर्च भी अलग से लगता है.

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