भारत की गरीबी दर में गिरावट, अब सिर्फ 3.36 करोड़ लोग BPL, 10 सालों में 27 करोड़ लोग गरीबी से बाहर आए
SBI रिसर्च के अनुसार 2024 में भारत की गरीबी दर घटकर 4.6 फीसदी रह गई है, जो 2023 में वर्ल्ड बैंक के अनुसार 5.3 फीसदी थी. बीते एक दशक में करीब 27 करोड़ लोग अत्यधिक गरीबी से बाहर निकले हैं. रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि RBI की 50 बेसिस पॉइंट की रेपो रेट कटौती से MSME और रिटेल लोन धारकों को राहत मिलेगी.
Poverty Rate: देश को गरीबी के मोर्चे पर बड़ी सफलता मिली है. 10 सालों में करीब 27 करोड़ लोग गरीबी से बाहर आए है. 2024 में देश में गरीबी का दर घटकर के 4.6 फीसदी रह गई है. यह आंकड़ा वल्ड बैंक के 2023 के अनुमान 5.3 फीसदी के अनुमान कम है. इस बीच, RBI द्वारा हाल ही में की गई रेपो रेट कटौती से देश की आर्थिक स्थिति और मजबूत हो सकती है.
गरीबी रेखा से बाहर निकले करोड़ों लोग
वर्ल्ड बैंक के अनुसार 2011-12 से 2022-23 के बीच भारत ने 270 मिलियन यानी 27 करोड़ लोगों को अत्यधिक गरीबी से बाहर निकाला. SBI का मानना है कि गरीबी का आकलन उनके उपभोग आधारित आंकड़ों से मेल खाता है. वर्ल्ड बैंक ने जब गरीबी रेखा को बढ़ाकर 3 डॉलर प्रतिदिन किया, तब भी भारत की गरीबी दर घटकर 5.2 फीसदी रह गई.
क्या है SBI का नया अनुमान
SBI ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि 2024 में भारत की गरीबी दर 4.6 फीसदी रही. यदि पुराने 2 डॉलर प्रतिदिन के हिसाब से देखा जाए तो यह आंकड़ा और कम होकर 2.4 फीसदी रह जाएगा. इसका मतलब है कि अब देश में सिर्फ 3.36 करोड़ लोग गरीबी रेखा से नीचे हैं.
RBI के फैसलों से मिल सकती है राहत
RBI ने 6 जून 2025 को रेपो रेट को घटाकर 5.5 फीसदी कर दिया. यह लगातार तीसरी बार कटौती है. SBI का कहना है कि यह बदलाव महज विराम नहीं बल्कि लचीली नीति की शुरुआत है, जिसका उद्देश्य बाजार में लिक्विडिटी बनाए रखना और विकास को प्राथमिकता देना है.
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लोन धारकों को होगा सीधा लाभ
इस ब्याज दर कटौती का फायदा रिटेल और MSME लोन धारकों को भी मिलेगा. SBI का अनुमान है कि इससे आम घरों को 50000 से 60000 रुपये तक की बचत हो सकती है. ब्याज दरों में गिरावट का यह दौर अभी कुछ और समय तक जारी रह सकता है.