BSE ने कड़ी कीं ‘छोटी’ कंपनियों के ‘बड़े’ बनने की शर्तें, SME से मेनबोर्ड माइग्रेशन के लिए 15 करोड़ मुनाफा और 1,000 शेयरहोल्डर्स जरूरी
देश के सबसे पुराने स्टॉक एक्सचेंज BSE ने SME कंपनियों को बड़ा झटका दिया है. अब SME कैटेगरी की कंपनियों को मेनबोर्ड कंपनी का तमगा हासिल करने के लिए कम से कम 15 करोड़ रुपये का मुनाफा रिपोर्ट करना होगा. इसके साथ ही कंपनी के पब्लिक शेयरहोल्डर्स की संख्या भी कम से कम 1000 होना जरूरी है.
BSE पर अब छोटी कंपनियों का मेनबोर्ड माइग्रेशन का रास्ता और ज्यादा मुश्किल हो गया है. BSE ने सोमवार को SME कैटेगरी की कंपनियों के मेनबोर्ड कैटेगरी में माइग्रेट होने की शर्तों को कठोर कर दिया है. अब सिर्फ वे कंपनियां ही SME से मेनबोर्ड का स्टेटस हासिल कर पाएंगी, जिनका मुनाफा 15 करोड़ रुपये से ज्यादा होगा. इसके अलावा जिनके पब्लिक शेयरहोल्डर्स की संख्या 1,000 से ज्यादा होगी. इसके अलावा इन कंपनियों को मार्केट लिक्विडिटी से जुड़ी शर्तें भी पूरी करनी होंगी. एक्सचेंज का कहना है इस कदम से SME लिस्टिंग क्वालिटी और निवेशकों का भरोसा बढ़ेगा.
BSE ने क्या कहा?
BSE सोमवार को एक स्टेटमेंट जारी कर कहा, SME लिस्टिंग और मेनबोर्ड माइग्रेशन के नियमों में बदलाव किया गया है. अब लिस्टेड SME कंपनियों को मेनबोर्ड कैटेगरी में जाने के लिए पिछले 3 वित्तीय वर्षों में कम से कम 15 करोड़ रुपये का ऑपरेटिंग प्रॉफिट हासिल करना होगा. इसके अलावा प्रत्येक वर्ष में कम से कम 10 करोड़ रुपये का प्रॉफिट होना जरूरी है. इसके अलावा, पब्लिक शेयरहोल्डर्स की न्यूनतम संख्या 250 से बढ़ाकर 1,000 कर दी गई है.
मार्केट लिक्विडिटी के नियम भी बदले
इसके साथ ही एक्सचेंज का कहना है कि अब ऐसी कंपनियों लिए मार्केट लक्विडिटी के नियमों को भी अनिवार्य कर दिया गया है, जिनके मुताबिक माइग्रेशन या डायरेक्ट लिस्टिंग के जरिये मेनबोर्ड पर आने की इच्छुक कंपनियों को 6 महीनों के दौरान इन शर्तों को पूरा करना होगा.
- इक्विटी शेयरों की के 5 फीसदी वेटेड एवरेज नंबर शेयरों का करोबार होना जरूरी है.
- 6 महीने की अवधि के दौरान कम से कम 80% दिनों में शेयरों में कारोबार होगा जरूरी है.
- कंपनियों के पास पिछले 3 वित्तीय वर्षों में प्रत्येक वर्ष कम से कम 3 करोड़ रुपये के ठोस संपत्तियां होनी.
पहले क्या था नियम?
पहले SME से मेनबोर्ड माइग्रेशन के लिए शर्त थी कि कंपनी को पिछले 3 वित्तीय वर्षों में से कम से कम 2 वर्षों में पॉजिटिव ऑपरेटिंग प्रॉफिट होना चाहिए. अब यह मापदंड काफी कड़ा हो गया है, जिससे केवल मजबूत वित्तीय प्रदर्शन वाली कंपनियां ही मेनबोर्ड पर लिस्ट हो सकेंगी.
BSE ने क्यों किया यह बदलाव?
BSE ने अपने बयान में कहा, इस बदलाव का मकसद एक जिम्मेदार मार्केट इंफ्रास्ट्रक्चर इंस्टीट्यूशन और फ्रंट-लाइन रेगुलेटर के रूप में बाजार की पारदर्शिता, निवेशकों के भरोसे और आर्थिक विकास को बढ़ाने के लिए अपने नियामकीय ढांचे को मजबूत करना है.