11 Jan 2025
Bankatesh kumar
केंद्र सरकार के साथ-साथ राज्य सरकारें भी प्राकृतिक और जैविक खेती को बढ़ावा दे रही हैं. इसके लिए वे किसानों को सब्सिडी भी मुहैया करा रही हैं.
सरकार की इन कोशिशों से देश में प्राकृतिक और जैविक खेती का रकबा भी बढ़ा है. लेकिन अभी भी प्राकृतिक खेती और जैविक खेती में अंतर को लेकर लोगों में असमंजस है.
अधिकांश लोगों को लगता है कि जैविक खेती और प्राकृतिक खेती एक ही है, लेकिन ऐसी बात नहीं है. दोनों में बहुत अंतर है. तो आइए जानते हैं आखिर जैविक और प्राकृतिक खेती किस तरह से की जाती है.
प्राकृतिक खेती नेचर के साथ तालमेल बिठाकर की जाती है. इसमें किसी तरह की बाहरी इनपुट का इस्तेमाल नहीं किया जाता है. प्राकृतिक विधि से खेती करने के लिए केवल मिट्टी, पानी और धूप की जरूरत होती है.
यानी प्राकृतिक तरीके से खेती करने वाले किसान खेत में गोबर या वर्मी कंपोस्ट का भी उपयोग नहीं करते हैं. इसलिए प्राकृतिक खेती करना बहुत ही सस्ता है.
इस खेती में इस्तेमाल आने वाले अधिकांश सामाग्री किसानों के पास उपलब्ध होती हैं. प्रकृतिक विधि से खेती करने वाले किसानों को बीजों की बुवाई करने के बाद केवल सिंचाई करने की ही जरूरत होती है.
जैविक खेती में रासायनिक खाद और कीटनाशकों का इस्तेमाल नहीं किया जाता है. इसमें उर्वरक के रूप में गोबर और वर्मी कंपोस्ट का उपयोग होता है. वहीं, रासायनिक कीटनाशकों की जगह बीजामृत का इस्तेमाल किया जाता है.
खास बात यह है कि बीजामृत गाय के गोबर, गोमूत्र, और बुझा चूने से तैयार किया जाता है. इसका छिड़काव करने से फसलों की ग्रोथ तेजी से होती है. साथ ही यह कीटों के हमले से भी फसल को बचाता है.
एक्सपर्ट के मुताबिक, प्राकृतिक विधि से फसलों की खेती करने पर मिट्टी की उर्वरा शक्ति में तेजी से सुधार आता है. साथ ही मिट्टी में जल धारण करने की शक्ति बढ़ जाती है.