28 April 2025
Pratik Waghmare
हमेशा दवाइयां लाइसेंस वाली दुकानों, फार्मेसी या डिस्पेंसरी से ही खरीदें. उनकी दीवारों पर लाइसेंस दिखना चाहिए. ऑनलाइन बिना भरोसेमंद सोर्स से दवा न खरीदें क्योंकि इंटरनेट पर नकली दवाओं का बड़ा बाजार है.
दवा की बाहरी पैकेजिंग को ध्यान से चेक करें. उस पर दवा का नाम, निर्माता का नाम और पता और एक्सपायरी डेट सही से लिखा होना चाहिए. जहां हो सके, बैच नंबर भी जरूर देखें.
पैकेजिंग
अगर आपने वही दवा पहले भी ली है, तो उसकी पैकेजिंग से मिलान करें. पुराने प्रोडक्ट की फोटो खींचकर रख सकते हैं ताकि तुलना करना आसान हो.
पुरानी दवा
पैकेट खोलने पर चेक करें कि दवा सही और सुरक्षित है या नहीं. ब्लिस्टर पैकिंग टूटी-फूटी न होनी चाहिए और सील भी सही होनी चाहिए. अगर दवा बोतल या डिस्पेंसर में है, तो टेबलेट्स का रंग, बनावट एक जैसा होना चाहिए.
दवा की हालत
गोलियों में अधिक पाउडर नीचे इकट्ठा न हो, ज्यादा पाउडर दिखे तो दवा कमजोर हो सकती है. गोलियों पर कोई अजीब गंध (जैसे सिरके जैसी) नहीं आनी चाहिए. कैप्सूल चमकदार हों, टूटे या चिपचिपे न हों.
गोलियों की सतह
अगर दवा लिक्विड है, तो उसमें अजीब गंध (जैसे पेट्रोल या इंडस्ट्रियल) नहीं होनी चाहिए. लिक्विड बिना गांठ के आसानी से बहना चाहिए. खुलने के एक महीने के भीतर और एंटीबायोटिक सात दिन के भीतर खत्म कर देना चाहिए.
लिक्विड दवा
अगर आपको लगे कि दवा नकली है या खराब क्वालिटी की है, तो तुरंत क्लिनिक, फार्मेसी या देश के दवा नियामक (जैसे ड्रग कंट्रोल अथॉरिटी) को इसकी सूचना दें.
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