5000 करोड़ का मालिक धोता है बर्तन, शेफ नहीं पत्नी बनाती है खाना

08 March 2025

Satish Vishwakarma

अगर मैं आपसे कहूं कि 5000 करोड़ का मालिक बर्तन धोता है और उसकी पत्नी खुद का खाना बनाती है, तो आप चौंक जाएंगे. लेकिन ये सच है.

5000 करोड़ का मालिक धोता बर्तन  

जी हां, थायरोकेयर के फाउंडर डॉ. ए. वेलुमनी ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर खाना पकाने को लेकर एक ऐसा विचार साझा किया, जो चर्चा का केंद्र बन गया.

खाना पकाने को लेकर किया गया पोस्ट  

इस पोस्ट के बाद सोशल मीडिया पर कई प्रतिक्रियाएँ आईं. एक यूजर ने लिखा, "खाना बनाना सिर्फ एक स्किल नहीं, बल्कि रिश्तों को गहराई देता है."  

इंटरनेट पर लोगों की प्रतिक्रिया  

डॉ. ए. वेलुमनी ने कहा कि दुनिया में दो तरह के लोग होते हैं, पहले वे जो खाना बनाना सीखते हैं और दूसरे वे जो इसे समय की बर्बादी मानते हैं. 

दो तरह के लोग होते हैं  

डॉ. ए. वेलुमनी का कहना है कि खुद खाना बनाने से न केवल शादीशुदा जीवन में रिश्ते मजबूत होते हैं, बल्कि जिंदगी भी अधिक खुशहाल होती है.  

 खाना पकाने से जिंदगी होती है खुशहाल  

डॉ. ए. वेलुमनी कहते हैं कि जो लोग खाना पकाने को समय की बर्बादी समझते हैं, उन्हें अपने रिश्तों में संघर्ष करना पड़ता है.

खाना न पकाने वालों को करना होता है संघर्ष  

डॉ. वेलुमनी अपनी पत्नी सुमति वेलुमनी को याद करते हुए कहा कि उन्होंने परिवार को समर्पित होकर संभाला. SBI में नौकरी करने के बावजूद उन्होंने घर और काम के बीच बैलेंस बनाए रखा. इस दौरान वेलुमनी ने खुद भी घर के कामों में हाथ बंटाया और खुशी-खुशी बर्तन धोने की जिम्मेदारी निभाई.  

खुद धोते थे बर्तन  

उन्होंने कहा कि खासतौर पर 5 से 25 लाख रुपये की सालाना कमाने वाले परिवारों के लिए यह स्किल बहुत अहम है.  

खाना बनाना क्यों है जरूरी?  

उन्होंने कहा कि जो माता-पिता अपने बच्चों को खाना बनाना नहीं सिखाते, वे बाद में इसका अफसोस कर सकते हैं, क्योंकि खाने का भावनात्मक जुड़ाव रिश्तों को मजबूत करता है.   

खाना बनाना रिश्तों को करता है मजबूत