23 Feb 2025
Vivek Singh
ब्याज दरें किसी भी देश की अर्थव्यवस्था का अहम हिस्सा होती हैं. ये केंद्रीय बैंक द्वारा तय की जाती हैं और महंगाई, करेंसी वैल्यू और आर्थिक गतिविधियों को प्रभावित करती हैं. उच्च दरें महंगाई को नियंत्रित करती हैं, जबकि कम दरें विकास को बढ़ावा देती हैं.
टर्की में ब्याज दर 45 फीसदी है, जो दुनिया में सबसे अधिक है.इसका कारण ऊंची महंगाई और आर्थिक अस्थिरता है. टर्की का केंद्रीय बैंक महंगाई को नियंत्रित करने और निवेशकों का विश्वास बनाए रखने के लिए उच्च ब्याज दरें लागू करता है.
टर्की में सबसे अधिक ब्याज दर क्यों?
अर्जेंटीना में ब्याज दर 29 फीसदी है, जो आर्थिक अस्थिरता और करेंसी वैल्यूएशन को दिखाती है. सरकार उच्च ब्याज दरों के जरिए महंगाई को नियंत्रित करने की कोशिश कर रही है, लेकिन इससे विकास दर पर नकारात्मक असर पड़ सकता है.
अर्जेंटीना में ब्याज दरें और आर्थिक संकट
रूस की ब्याज दर 21 फीसदी है, जो पश्चिमी प्रतिबंधों और कमजोर करेंसी के कारण बढ़ी है. रूस का केंद्रीय बैंक अर्थव्यवस्था को स्थिर करने और विदेशी निवेश बनाए रखने के लिए ब्याज दरों को ऊंचा रख रहा है.
रूस की ब्याज दर में उछाल क्यों?
ब्राजील की ब्याज दर 13.25 फीसदी और मैक्सिको की 9.5 फीसदी है. ये देश महंगाई को नियंत्रित करने के लिए सख्त मौद्रिक नीतियों को लागू कर रहे हैं. ब्राजील और मैक्सिको में उच्च ब्याज दरों के बावजूद कंज्यूमर खर्च और निवेश जारी है.
ब्राजील और मैक्सिको की नीतियां
भारत की ब्याज दर 6.25 फीसदी है, जो महंगाई नियंत्रण और आर्थिक विकास के बीच संतुलन बनाए रखने की नीति दिखाती है. भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ब्याज दरों को नियंत्रित कर महंगाई और विकास दर को स्थिर बनाए रखता है.
भारत की ब्याज दर: संतुलित नीति
बफे ने 2024 की आखिरी तिमाही में Apple के 900 करोड़ डॉलर (करीब 78 हजार करोड़ रुपये) के शेयर बेचकर नकदी इकट्ठा की. यह कदम उनके नए निवेश प्लान का हिस्सा था.
सऊदी अरब और इंडोनेशिया: स्थिरता बनाए रखने की रणनीति
अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम की ब्याज दरें 4.5 फीसदी हैं. ये देश महंगाई को नियंत्रित करने के लिए धीरे-धीरे ब्याज दरों को बढ़ाते हैं. फेडरल रिजर्व और बैंक ऑफ इंग्लैंड अर्थव्यवस्था की स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए ब्याज दरों को नियंत्रित करते हैं.
अमेरिका और यूके की मौद्रिक नीति
चीन की ब्याज दर 3.1 फीसदी और ऑस्ट्रेलिया की 4.1 फीसदी है. चीन कम ब्याज दरों के जरिए आर्थिक विकास को बढ़ावा दे रहा है, जबकि ऑस्ट्रेलिया महंगाई को नियंत्रित करने के लिए अपनी दरों में धीरे-धीरे बदलाव कर रहा है.
चीन और ऑस्ट्रेलिया की निचली दरें