30 Nov 2024
Shashank Srivastava
संसद का सत्र शुरू हो चुका है. हर सत्र के साथ हाउस की गहमागहमी भी बढ़ती जाती है. इसी के साथ संसद में आने वाले सांसदों, पत्रकारों और दर्शकों की संख्या भी बढ़ जाती है.
समय के साथ संसद की कैंटीन में मिलने वाली थाली की कीमत भी बढ़ गई है. कुछ समय पहले तक संसद की कैंटीन वहां के सस्ते खाने के लिए चर्चा में रहती थी.
हालांकि आज भी, संसद की थाली की कीमत बढ़ी जरूर है लेकिन बाहर के होटलों और रेस्तरां की तुलना में काफी कम है.
संसद की कैंटीन में एक चपाती की कीमत मात्र 3 रुपये है. चिकन बिरयानी और चिकन करी का मजा 100 रुपये और 75 रुपये में उठाया जा सकता है.
इससे इतर सैंडविच जैसे खाने की कीमत 3 रुपये से 6 रुपये तक है. अगर कोई शाकाहारी थाली खाना चाहे तो उसे मात्र 100 रुपये खर्च करने पड़ेंगे.
1950 और 1960 के दशक में संसद की कैंटीन में भोजन की कीमत काफी ज्यादा सब्सिडी वाली थी. उस वक्त एक साधारण शाकाहारी थाली की कीमत 50 पैसे थी.
कुछ समय के बाद 1968 में भारतीय रेलवे के आईआरसीटीसी ने कैंटीन का काम संभाल लिया था. कुछ समय तक उसी दर से खाना मिलता रहा.
साल 2008 के आसपास कई बार पाइपलाइन में गैस लीक और उपकरणों में आ रही गड़बड़ी के कारण कैंटीन का पूरा सिस्टम बदल दिया गया. अब वहां खाना पूरी तरह से बिजली से पकता है.
पिछले समय तक कैंटीन में कुल 90 तरह के खाने को पकाया जाता था. इसमें ब्रेकफास्ट, लंच और शाम का नाश्ता भी शामिल है.