3 May 2025
VIVEK SINGH
भारत में नकली दवाओं का बड़ा नेटवर्क है, जो आम बीमारियों की दवाओं के नाम पर लोगों को ठगता है. सही पहचान और सतर्कता से इससे बचा जा सकता है.
सरकार ने 100 रुपये से अधिक की दवाओं पर QR कोड अनिवार्य कर दिया है. इसे स्कैन करके दवा की असलियत की जांच की जा सकती है.
QR कोड से करें पहचान
असली दवाओं की पैकिंग प्रीमियम होती है. नकली दवाएं अक्सर सस्ती और टेढ़ी-मेढ़ी पैकिंग में आती हैं. पैकेजिंग की क्वालिटी को जरूर देखें.
पैकेजिंग की जांच करें
नकली दवाओं में लेबल पर स्पेलिंग मिस्टेक, गलत बैच नंबर या मैन्युफैक्चरिंग डिटेल्स में गड़बड़ी हो सकती है. दवा लेते समय इन्हें जांचें.
स्पेलिंग में गलती तो समझें खतरा
जेनेरिक दवाएं किफायती होती हैं लेकिन इन्हें नकली बनाने की कोशिशें होती हैं. API यानी एक्टिव इंग्रीडिएंट को लेबल से मैच करें.
जेनेरिक दवाओं को पहचाने
हमेशा लाइसेंसधारी मेडिकल स्टोर से ही दवा खरीदें. स्ट्रीट सेलर या अनवेरिफाइड वेबसाइट्स से दवा लेने से बचें.
दवा कहां से खरीदें?
CDSCO की वेबसाइट, 1915 हेल्पलाइन नंबर, या [nch-ca@gov.in](mailto:nch-ca@gov.in) पर शिकायत दर्ज करें. NPPA और स्थानीय CMOH को भी सूचित कर सकते हैं.
नकली दवा मिले तो कहां करें शिकायत?
नशीली या संदिग्ध दवाओं की शिकायत MANAS पोर्टल पर करें. यह राष्ट्रीय नारकोटिक्स हेल्पलाइन है जहां ऑनलाइन शिकायत दर्ज की जा सकती है.
नशीली दवाओं की शिकायत कहां करें?
प्लास्टिक की बोतल में BPA (Bisphenol A) जैसी केमिकल होती है, जो शरीर में घुसकर हार्मोनल असंतुलन का कारण बन सकती है. यह हमारे हेल्थ के लिए खतरे का कारण हो सकता है, खासकर बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए.
प्लास्टिक के बोतल में गर्मी के संपर्क में आने से इसमें मौजूद रसायन पानी में घुल जाते हैं. इससे पानी की क्वालिटी खराब हो सकती है और यह हमारे हेल्थ को नुकसान पहुंचा सकता है.
पानी की क्वालिटी पर असर