24 Nov 2025
Pradyumn Thakur
नए लेबर कोड्स के आने से ग्रेच्युटी के नियम काफी आसान और कर्मचारी-हित में हो गए हैं. अब कई तरह के कर्मचारियों को कम समय की नौकरी पर भी ग्रेच्युटी मिलेगी. सरकार का उद्देश्य है कि ज्यादा से ज्यादा लोगों को नौकरी छोड़ने पर आर्थिक सुरक्षा मिल सके.
पहले ग्रेच्युटी पाने के लिए 5 साल की लगातार नौकरी जरूरी थी, लेकिन नए नियमों में फिक्स्ड-टर्म कर्मचारियों को सिर्फ 1 साल की नौकरी के बाद ही ग्रेच्युटी का हक मिल जाएगा. इससे अस्थायी या तय अवधि के कॉन्ट्रैक्ट वाले कर्मचारियों को बड़ा फायदा होगा.
अब कॉन्ट्रैक्ट पर काम करने वाले कर्मचारियों को भी स्थायी कर्मचारियों की तरह ग्रेच्युटी का अधिकार मिलेगा. इसके लिए जिम्मेदारी उस कंपनी की होगी जहां वे काम कर रहे हैं. इससे कॉन्ट्रैक्ट वर्कर्स को नौकरी छोड़ने के बाद भी आर्थिक सहारा मिल सकेगा.
नए नियमों में कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों को ग्रेच्युटी पाने के लिए 5 साल की जगह सिर्फ 1 साल का लगातार काम जरूरी होगा. इससे लाखों कॉन्ट्रैक्ट स्टाफ को जल्दी लाभ मिलने लगेगा और उनके भविष्य को लेकर सुरक्षा बढ़ेगी.
एक्सपोर्ट सेक्टर में काम करने वाले फिक्स्ड-टर्म कर्मचारियों को भी अब ग्रेच्युटी मिलेगी. इनके लिए भी पीएफ और दूसरी सोशल सिक्योरिटी सुविधाएं लागू होंगी. इससे इस सेक्टर में काम करने वाले कर्मचारियों की नौकरी के बाद की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी.
ग्रेच्युटी वह राशि है जो कंपनी अपने कर्मचारियों को लंबे समय काम करने पर धन्यवाद के रूप में देती है. यह पैसा रिटायरमेंट, इस्तीफा या नौकरी छोड़ने पर मिलता है और कर्मचारी को आगे के समय में आर्थिक सहारा प्रदान करता है.
भारत में ग्रेच्युटी का भुगतान ‘पेमेन्ट ऑफ ग्रेच्युटी एक्ट 1972’ के तहत किया जाता है. इसमें तय है कि कौन कर्मचारी ग्रेच्युटी पाने का हकदार है और कितने साल की सेवा पर यह लाभ मिलता है। नए लेबर कोड्स में इसे और सरल और व्यापक बनाया गया है.
इन बदलावों से फिक्स्ड-टर्म और कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों को जल्दी ग्रेच्युटी मिलेगी और उनकी नौकरी में सुरक्षा बढ़ेगी. इससे ज्यादा सेक्टर्स में काम करने वाले लोगों को फायदा मिलेगा. कंपनियों को भी अब कर्मचारियों के सामाजिक सुरक्षा लाभ पर और ध्यान देना होगा.