31 May 2025
VIVEK SINGH
ऑनलाइन खरीदारी पर कुछ पैसे वापस मिलते हैं, जिसे कैशबैक कहते हैं. ये सीधे आपके खाते में नहीं आता, बल्कि अगली खरीदारी में इस्तेमाल करने को मिलता है.
कैशबैक दरअसल कंपनियों की एक रणनीति होती है जो ग्राहकों को बार-बार खरीदारी के लिए मजबूर करती है. ये एक तरह का साइकोलॉजिकल ट्रिक है.
कैशबैक की चालाकी
ई-कॉमर्स कंपनियां बैंकों और वॉलेट कंपनियों से डील करके कैशबैक ऑफर चलाती हैं. इससे सभी का बिजनेस बढ़ता है.
कहां से आता है कैशबैक का पैसा?
कैशबैक तभी मिलता है जब आप एक तय रकम से ज्यादा की खरीदारी करें और फिर उस कैशबैक को भुनाने के लिए और खर्च करें.
कैशबैक में छुपे होते हैं शर्तों के पेंच
डिस्काउंट सीधे प्रोडक्ट की कीमत घटाता है, जबकि कैशबैक आपको खरीदारी करने की आदत डालता है जिससे आप बार-बार खर्च करते हैं.
डिस्काउंट और कैशबैक में फर्क
अक्सर कैशबैक वॉलेट मनी, कूपन या रिवॉर्ड पॉइंट्स के रूप में होता है जिसे आप सिर्फ उसी साइट पर खर्च कर सकते हैं.
कैशबैक हमेशा कैश में नहीं मिलता
हर कैशबैक ऑफर की एक एक्सपायरी डेट होती है. समय पर इस्तेमाल ना करने पर ये बेकार हो जाता है.
कैशबैक की डेडलाइन का रखें ध्यान
लालच में आकर अगर आप अपने बजट से ज्यादा खर्च करते हैं तो नुकसान तय है. कैशबैक फायदे से ज्यादा भ्रम हो सकता है.
बजट से ज्यादा खर्च ना करें