05 May 2025
Satish Vishwakarma
भारत समेत दुनिया के तमाम देशों में वर्क-लाइफ बैलेंस को लेकर हमेशा चर्चा होती रहती है. आज के दौर में लोगों के निजी जीवन में भी काम का बोझ बढ़ता जा रहा है. लोग अपने परिवार के साथ अधिक समय नहीं बिता पा रहे हैं, जिस वजह से यह मुद्दा चर्चा में बना रहता है.
कई देशों में लोगों के कार्य घंटे लगातार बढ़ते जा रहे हैं, जो उनके व्यक्तिगत जीवन में दखल दे रहे हैं. ऐसे में आइए जानते हैं ऐसे देशों के बारे में जहां कार्य और जीवन के बीच संतुलन बेहतर है.
वो देश जहां है बेहतर स्थिति
वानुअतु इस सूची में शीर्ष स्थान पर है. यहां की वर्किंग पॉपुलेशन सप्ताह में औसतन केवल 49 घंटे काम करती है, जो दूसरी देशों की तुलना में काफी संतुलित माना जाता है.
वानुअतु
किरिबाती में औसतन साप्ताहिक कार्य समय 27.3 घंटे है. यहां वर्क-लाइफ बैलेंस को विशेष महत्व दिया जाता है. केवल 10 प्रतिशत आबादी ही ऐसी है जो हफ्ते में 49 घंटे से अधिक काम करती है.
किरिबाती
माइक्रोनेशिया में औसतन कार्य सप्ताह 30.4 घंटे का होता है. यहां की वर्किंग पॉपुलेशन में से मात्र 2 प्रतिशत लोग ही सप्ताह में 49 घंटे काम करते हैं.
माइक्रोनेशिया
दूसरे देशों की तुलना में रवांडा में भी वर्क-लाइफ बैलेंस काफी बेहतर है. यहां साप्ताहिक कार्य समय औसतन 30.4 घंटे है, हालांकि 12 प्रतिशत कर्मचारी ऐसे हैं जो 49 घंटे या उससे अधिक काम करते हैं.
रवांडा
अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) की एक रिपोर्ट के अनुसार, सोमालिया में औसतन साप्ताहिक कार्य समय 31.4 घंटे है. यहां भी केवल 10 प्रतिशत कर्मचारी ही सप्ताह में 49 घंटे या उससे अधिक समय तक काम करते हैं.
सोमालिया
वर्किंग ऑवर्स और कर्मचारियों की ज़रूरतों के बीच संतुलन के मामले में नीदरलैंड की स्थिति काफ़ी अच्छी मानी जाती है। यहां के लोगों का औसतन कार्य समय 31 घंटे प्रति सप्ताह है.
नीदरलैंड
भारत में वर्किंग ऑवर्स काफी ज्यादा हैं. यहां औसतन साप्ताहिक कार्य समय 46.7 घंटे है और 51 प्रतिशत से अधिक कर्मचारी सप्ताह में 49 घंटे या उससे अधिक काम करते हैं.
भारत की स्थिति