हर कर्मचारी के लिए जरूरी 8 लेबर लॉ, जानें आपने अधिकार

12 Dec 2025

VIVEK SINGH

 क्या है आपका हक?

कानून के अनुसार बिना वजह या बिना नोटिस दिए नौकरी से निकालना Unlawful Termination माना जाता है. Industrial Disputes Act, 1947 की धारा आपको लिखित कारण मांगने का अधिकार देती है.

Payment of Wages Act तय करता है कि सैलरी महीने की 7 या 10 तारीख तक मिलनी चाहिए. अगर कंपनी समय पर वेतन नहीं देती, तो कर्मचारी लेबर कमिश्नर के पास शिकायत दर्ज करा सकता है और जरूरत पड़ने पर सिविल कोर्ट में भी मामला दायर कर सकता है.

सैलरी रोकना अपराध

अगर कर्मचारी नोटिस पीरियड पूरा नहीं करता तो कंपनी कानूनी कार्रवाई नहीं कर सकती. लेकिन अगर कर्मचारी ने कोई बॉन्ड या लीगल एग्रीमेंट साइन किया है, तो कुछ मामलों में कंपनी नुकसान की भरपाई के लिए केस दर्ज करा सकती है.

नोटिस पीरियड पूरा न करने पर क्या होगा?

अगर कर्मचारी ने काम किया है, तो कंपनी सैलरी रोक नहीं सकती. ऐसी स्थिति में कर्मचारी जिला कोर्ट या लेबर कोर्ट में शिकायत कर सकता है. सैलरी रोकना कर्मचारियों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन माना जाता है.

सैलरी रोकना गैरकानूनी है

अगर कर्मचारी से तय समय से अधिक काम करवाया जा रहा है, तो वह इसकी शिकायत कर सकता है. इसके लिए कर्मचारी सीधे लेबर इंस्पेक्टर या लेबर कमिश्नर को लिखित में शिकायत भेज सकता है. कानून ओवरटाइम को स्पष्ट रूप से नियंत्रित करता है.

ज्यादा काम करवाया जाए तो

कई कंपनियां प्रोजेक्ट, रिपोर्ट, अप्रेजल या बोनस के नाम पर कर्मचारियों पर अत्यधिक मानसिक दबाव बनाती हैं. यह Workplace Harassment की श्रेणी में आ सकता है, और कर्मचारी POSH व अन्य लेबर कानूनों के तहत कार्रवाई कर सकता है.

प्रमोशन के नाम पर प्रेशर

अगर कर्मचारी को इतना परेशान किया जाए कि वह खुद नौकरी छोड़ दे, तो यह Constructive Dismissal कहलाता है. ऐसी स्थिति में कर्मचारी लेबर कोर्ट में केस दर्ज कर compensation और जॉब रिस्टोरीशन के लिए अपील कर सकता है.

इस्तीफा लेने को मजबूर करना

दुनिया में सबसे अधिक काम करने वाले देशों की सूची में भारत 12वें स्थान पर है, जहां कर्मचारी सप्ताह में लगभग 46.7 घंटे काम करते हैं. यह आंकड़ा बताता है कि वर्क–लाइफ बैलेंस भारत में कितनी बड़ी समस्या है और क्यों लेबर लॉ की जानकारी जरूरी है.

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