25 Nov 2025
VIVEK SINGH
यह फॉर्मूला आपकी सैलरी को तीन हिस्सो में बांटता है. 70 फीसदी जरूरतों में, 20 फीसदी बचत में और 10 फीसदी लाइफस्टाइल खर्च में लगता है. इससे बजट बिगड़ता नहीं और पैसे सुरक्षित रहते हैं.
सैलरी का 70 फीसदी हिस्सा किराया, EMI, राशन, बिजली, गैस, फोन और बच्चो की जरूरत पर खर्च किया जाता है. यह हिस्सा आपके सभी जरूरी खर्च कवर करने के लिए काफी होता है और महीने का दबाव कम करता है.
इस हिस्से से आप इमरजेंसी फंड तैयार कर सकते हैं. SIP, PPF, FD या RD जैसे विकल्प चुन सकते हैं. नौकरीपेशा लोग VPF के जरिए EPF में कॉन्ट्रिब्यूशन भी बढ़ा सकते हैं, जिससे लॉन्ग टर्म बेनिफिट मिलता है.
यह हिस्सा आपके शौक और मनोरंजन के लिए है. फिल्म, शॉपिंग, ट्रैवल या आउटिंग जैसे काम इसी बजट से करने चाहिए. इससे लाइफस्टाइल भी कंट्रोल में रहता है और सेविंग पर असर नहीं पड़ता.
अगर सैलरी एक लाख है, तो 70 हजार जरूरत पर, 20 हजार सेविंग में और 10 हजार लाइफस्टाइल पर खर्च करना चाहिए. इससे महीने का पूरा फाइनेंशियल स्ट्रक्चर पहले दिन ही सेट हो जाता है.
कैफे कॉफी, ऑनलाइन फूड, शॉपिंग या छोटे ट्रांजैक्शन मिलकर बड़ी रकम बन जाते हैं. इन्हें एक डायरी या ऐप में नोट करें. इससे गैरजरूरी खर्च कम होते हैं और सेविंग बढ़ती है.
क्रेडिट कार्ड केवल इमरजेंसी के लिए इस्तेमाल करना चाहिए. ज्यादा खर्च आपको कर्ज में डाल सकता है. बिल समय पर भरने से क्रेडिट स्कोर सही रहता है और भविष्य में लोन आसानी से मिलता है.
आज की महंगाई में केवल एक सैलरी काफी नहीं होती. पार्ट टाइम काम, ट्यूशन या ऑनलाइन वर्क से अतिरिक्त इनकम मिलती है. इससे सेविंग भी बढ़ती है और फाइनेंशियल प्रेशर कम हो जाता है.