24 May 2025
Satish Vishwakarma
पपीता गर्मियों में खूब खाया जाता है क्योंकि ये ठंडक, मिठास और पोषण से भरपूर होता है. लेकिन आजकल बाजार में मिल रहे हैं नकली, कैमिकल से पकाए पपीते, जो सेहत को नुकसान पहुंचा सकते हैं. ऐसे में आइए जानते हैं कैसे पपीते की सही पहचान की जानी चाहिए.
असली पपीते में पीले-नारंगी रंग का धीरे-धीरे बदलाव होता है. नकली पपीता अक्सर चमचमाता है, जगह-जगह चमकीले पीले और गहरे हरे रंग के पैच दिखते हैं.
रंग देखो, फर्क समझो
असली पपीते से हल्की मीठी, फल जैसी सुगंध आती है. नकली या कैमिकल से पके पपीते में या तो कोई खुशबू नहीं होती या फिर उसमें तीखी, आर्टिफिशियल गंध होती है.
खुशबू से करें पहचान
असली पपीता हल्का नरम होता है लेकिन पूरे फल में एक जैसा. नकली पपीते बाहर से नरम और अंदर से कच्चे हो सकते हैं.
छूकर पहचानें सच्चाई
असली पपीते का गूदा गहरा नारंगी या लाल होता है और बीज काले होते हैं. नकली पपीते का गूदा फीका, सफेद या बदबूदार हो सकता है.
काटें और देखें अंदर से
एक कटोरे में पानी भरें और पपीता डालें. असली पपीता धीरे-धीरे डूबेगा. अगर पपीता तैरे या ऊपर आ जाए तो वह नकली हो सकता है.
पानी में डाल कर करें टेस्ट
हमेशा लोकल या भरोसेमंद दुकानों से ही पपीता खरीदें. ऑर्गेनिक या सीजनल फल ज्यादा सुरक्षित होते हैं.
कहां से खरीदते हैं, ये भी मायने रखता है
सबसे पहले एक भूरे पेपर बैग में पपीता और पका हुआ केला रखें. फिर कमरे के तापमान पर ही रखें, फ्रिज में न डालें. 2 से 3 दिन में पपीता खुद-ब-खुद पक जाएगा.
घर पर पपीता कैसे पकाएं सुरक्षित तरीके से?
कैल्शियम कार्बाइड जैसे केमिकल्स से पकाए फल शरीर में ज़हर की तरह असर करते हैं. ये सिरदर्द, चक्कर, त्वचा रोग और लंबे समय में कैंसर तक का कारण बन सकते हैं.
नकली पपीता क्यों है खतरनाक?