02 Nov 2025
Pradyumn ThakurSINGH
बैलेंस ट्रांसफर में नया क्रेडिट कार्ड पुराने कार्ड का बकाया चुका देता है, जिससे कर्ज एक जगह कम ब्याज पर शिफ्ट होता है.
यह सुरक्षित माना जाता है क्योंकि इसमें कम ब्याज, आसान प्रक्रिया और बैंक द्वारा मान्यता प्राप्त तरीका होने का बड़ा लाभ मिलता है.
कार्ड से कैश निकालकर बैंक खाते में जमा किया जाता है और उसी पैसे से दूसरे कार्ड का बिल चुकाया जाता है, लेकिन खर्च ज्यादा होता है.
इसमें तुरंत ब्याज लगने लगता है, कोई ग्रेस पीरियड नहीं मिलता और कर्ज बहुत तेजी से बढ़कर आर्थिक दबाव बढ़ा देता है.
बैंक सीधे एक क्रेडिट कार्ड से दूसरे का बिल नहीं लेते क्योंकि यह कुल कर्ज बढ़ाता है और यूजर्स को जोखिम में डालता है.
बैंक चाहते हैं कि क्रेडिट कार्ड बिल का भुगतान केवल बैंक खाते, नेफ्ट, नेट बैंकिंग या यूपीआई जैसे आधिकारिक तरीकों से ही किया जाए.
अगर खाते में पैसे कम हों तो बैलेंस ट्रांसफर सबसे सही विकल्प है, लेकिन फीस और ब्याज की शर्तें जरूर समझनी चाहिए.
सीधा कार्ड-से-कार्ड भुगतान नहीं चलता, बैलेंस ट्रांसफर ही व्यावहारिक तरीका है, पर इसे भी सोच-समझकर और सीमित उपयोग करना चाहिए.