11 Dec 2025
VIVEK SINGH
सरकार सड़क, रेल पटरी, पावर प्रोजेक्ट जैसे जनहित कार्यों के लिए आपकी सहमति के बिना जमीन ले सकती है. ऐसे मामलों में नागरिक इनकार नहीं कर सकता,
सरकार आज जमीन LARR Act 2013 के तहत लेती है, जो पारदर्शिता और न्यायसंगत मुआवजा सुनिश्चित करता है. इसमें जमीन मालिकों और प्रभावित परिवारों के हितों को प्राथमिकता दी जाती है.
पुराना कानून मनमाना और किसान-विरोधी माना जाता था. LARR Act 2013 लाकर सरकार ने पारदर्शिता, बाजार आधारित मुआवजा और पुनर्वास की व्यवस्था को मजबूत किया, ताकि परिवारों का अधिकार सुरक्षित रहे.
नहीं. सरकारी प्रोजेक्ट्स के लिए सहमति नहीं लेनी होती. लेकिन निजी कंपनी को जमीन मालिकों की बड़ी संख्या से लिखित मंजूरी लेनी अनिवार्य है, तभी वह जमीन अधिग्रहण कर सकती है.
ग्रामीण क्षेत्रों में बाजार मूल्य का कम से कम 2 गुना मुआवजा मिलता है. शहरी क्षेत्रों में 1 गुना तक राशि दी जाती है. साथ ही पुनर्वास, कैश सहायता और वैकल्पिक जमीन या नौकरी भी शामिल हो सकती है.
अक्सर जमीन का वास्तविक मूल्य और सरकारी मूल्यांकन में बड़ा फर्क होता है. इसी वजह से कई मामलों में किसान और जमीन मालिक मुआवजा बढ़ाने की मांग करते हैं या अदालत में चुनौती देते हैं.
अगर प्रक्रिया में गड़बड़ी हो, पारदर्शिता न हो, मुआवजा और पुनर्वास में अन्याय हो या सहमति नियमों का उल्लंघन हो—तो प्रभावित व्यक्ति हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर रोक की मांग कर सकता है.
हां, कानून प्रभावित परिवारों को नया घर, निर्माण सहायता, नकद मदद, वैकल्पिक जमीन या नौकरी देने का प्रावधान करता है. इसका उद्देश्य है कि जमीन छिनने के बाद परिवार आर्थिक रूप से कमजोर न हो.