20 May 2025
VIVEK SINGH
No Cost EMI का मतलब होता है कि ग्राहक को किसी प्रोडक्ट की किस्तों में सिर्फ वही कीमत देनी होती है जो उसकी असल कीमत है, लेकिन हकीकत में इसमें छुपा ब्याज जुड़ा होता है.
कंपनियां प्रोडक्ट पर मिलने वाले डिस्काउंट को बैंक को ब्याज के रूप में देती हैं. या फिर पहले से ही ब्याज को प्रोडक्ट की कीमत में जोड़ देती हैं, जिससे ग्राहक को भ्रम होता है.
कैसे होता है ब्याज शामिल?
कभी डिस्काउंट की जगह ब्याज दिया जाता है, कभी कीमत बढ़ाकर ब्याज छुपाया जाता है, और कभी स्टॉक क्लियरेंस के लिए सर्विस चार्ज जोड़ दिया जाता है. ये तीनों ट्रिक का हिस्सा होते हैं.
तीन तरीके से काम करती है ये स्कीम
आपको EMI के साथ-साथ उस पर लगने वाला 18% GST भी चुकाना होता है. ये आमतौर पर छुपा हुआ खर्च होता है जो EMI लेते वक्त नजर नहीं आता, लेकिन जेब पर असर डालता है.
GST भी चुकाना पड़ता है
अगर आप 29362 रुपये के मोबाइल को 3 महीने की No Cost EMI पर लेते हैं, तो ब्याज और GST मिलाकर आपको लगभग 30114 रुपये चुकाने पड़ते हैं. यानी करीब 750 रुपये ज्यादा.
कैसे होता है असल में भुगतान
बिना सोचे समझे EMI लेने से प्रोसेसिंग फीस, ब्याज और GST जैसी चीजें unnoticed रहती हैं. इससे ग्राहक को नुकसान होता है, और उसे लगता है कि वो बिना ब्याज खरीदारी कर रहा है.
कहां होता है नुकसान
किसी भी सामान को No Cost EMI पर लेने से पहले उसकी असली कीमत, शर्तें और छिपे चार्ज जरूर चेक करें. दूसरे प्लेटफॉर्म पर कीमत की तुलना करें और EMI स्कीम के सभी नियम पढ़ें.
No Cost EMI लेते समय क्या ध्यान रखें