28 Dec 2025
VIVEK SINGH
पर्सनल लोन अनसिक्योर्ड लोन होता है, यानी इसके बदले बैंक कोई संपत्ति गिरवी नहीं रखता. यह लोन आमतौर पर क्रेडिट स्कोर और आय के आधार पर दिया जाता है और EMI के रूप में चुकाया जाता है.
अगर पर्सनल लोन लेने वाले व्यक्ति की मौत हो जाती है, तो लोन अपने आप खत्म नहीं होता. बैंक सबसे पहले यह जांच करता है कि कोई सह उधारकर्ता या गारंटर है या नहीं.
सुसाइड की स्थिति में भी पर्सनल लोन के नियम लगभग वही रहते हैं. क्योंकि लोन अनसिक्योर्ड है, इसलिए बैंक सीधे किसी की संपत्ति जब्त नहीं कर सकता.
कानूनी रूप से परिवार पर सीधे EMI चुकाने की जिम्मेदारी नहीं होती. लेकिन अगर परिवार मृतक की संपत्ति या विरासत को स्वीकार करता है, तो बैंक उसी संपत्ति से लोन की वसूली कर सकता है.
अगर पति या पत्नी मृतक की संपत्ति अपने पास रखते हैं, तो बैंक उस संपत्ति के मूल्य तक लोन की रकम मांग सकता है. हालांकि व्यक्तिगत आय से EMI चुकाने की बाध्यता नहीं होती.
अगर पर्सनल लोन में कोई गारंटर है, तो उधारकर्ता की मौत या सुसाइड के बाद बैंक गारंटर से पूरी बकाया राशि की वसूली कर सकता है.
कई बार लोन के साथ क्रेडिट लाइफ इंश्योरेंस जुड़ा होता है. ऐसी स्थिति में बीमा कंपनी बकाया लोन चुका देती है और परिवार को EMI का बोझ नहीं उठाना पड़ता.
परिवार को सबसे पहले लोन डॉक्यूमेंट, इंश्योरेंस कवर और गारंटर की स्थिति जांचनी चाहिए. बिना सही जानकारी के बैंक के दबाव में आकर भुगतान करने से बचना चाहिए और जरूरत हो तो कानूनी सलाह लेनी चाहिए.