26 May 2025
Pratik Waghmare
नई और सेकेंड हैंड कारों की कीमत में बड़ा अंतर होता है, लेकिन कई बार पुरानी कार खरीदना झंझट भरा या नुकसानदायक साबित हो सकता है. मगर कुछ बेसिक नियम जान लेने से कॉन्फिडेंस के साथ खरीदारी की जा सकती है.
पूरी हिस्ट्री चेक कर लें, माइलेज, कार की मैकेनिकल और बाहरी हालत को ध्यान से जांचें. यह भी पक्का करें कि कार किसी एक्सीडेंट में तो नहीं रही और प्रोफेशनल जांच हो चुकी हो.
जांचें कार की हालत
डीलर से खरीदने पर थोड़ा महंगा पड़ सकता है, लेकिन कई फायदे मिलते हैं जैसे गारंटी या रोडसाइड हेल्प. वहीं, निजी मालिक से लेने पर ट्रांसपेरेंसी जरूरी है. अधूरी सर्विस हिस्ट्री, दाम बहुत कम होना, एक्सीडेंट के निशान जैसे संकेतों पर ध्यान दें.
डीलर या मालिक
हर कार का एक यूनिक 17 अंकों का कोड होता है (VIN). इसे सरकारी साइट्स पर चेक कर कार की असली पहचान, एक्सीडेंट या चोरी की हिस्ट्री और रजिस्ट्रेशन वैधता देख सकते हैं.
VIN से वैरिफाई करें
डेंट, स्क्रैच या पेंट में फर्क देखें. पैनल पर उंगलियां फिरा कर नीचे की स्क्रैचिंग चेक करें. नीचे से तेल रिसाव न हो, यह भी देखें. टायरों के घिसाव को Dh1 कॉइन से चेक किया जा सकता है.
बाहरी हालत देखें
हर बटन दबाकर चेक करें, डैशबोर्ड ठोस है या नहीं. सीटें कितनी घिसी हुई हैं, AC सही से चल रहा है या नहीं, कोई अजीब आवाज या बदबू तो नहीं, यह सब देखना जरूरी है. मरम्मत की लागत को ध्यान में रखें.
इंटीरियर परखें
इंजन की आवाज और कार की पावर चेक करें. पुरानी कारों में हल्का पावर लॉस सामान्य है, लेकिन स्पेसिफिकेशन के हिसाब से तुलना करें. अगर और भरोसे की जरूरत हो, तो किसी प्रोफेशनल मैकेनिक से कार की जांच जरूर करवाएं.
टेस्ट ड्राइव
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