16 May 2025
VIVEK SINGH
TDS यानी Total Dissolved Solids, पानी में घुले खनिज और धातुओं की कुल मात्रा को दिखाता है. इसे mg/L या ppm में मापा जाता है और यह पानी की शुद्धता का संकेत देता है.
पीने के पानी का TDS लेवल 150 से 300 mg/L के बीच होना चाहिए. यह लेवल न तो बहुत कम है, न ही बहुत ज्यादा, और स्वास्थ्य के लिए सही माना जाता है.
TDS कितना होना चाहिए?
BIS (Bureau of Indian Standards) ने पीने योग्य पानी के लिए TDS की अधिकतम सीमा 500 mg/L तय की है. इससे अधिक होने पर पानी को फिल्टर करना जरूरी हो जाता है.
BIS के अनुसार अधिकतम सीमा
0–50 mg/L TDS वाले पानी में जरूरी मिनरल्स की कमी हो सकती है. ऐसा पानी लंबे समय तक पीने से शरीर में पोषक तत्वों की कमी हो सकती है.
बहुत कम TDS भी नुकसानदेह
अगर TDS 500 से 900 के बीच है, तो यह मध्यम क्वालिटी वाला पानी है. पी सकते हैं, लेकिन लंबे समय तक उपयोग से पाचन या अन्य समस्याएं हो सकती हैं.
500 से 900 mg/L
900 mg/L से अधिक TDS लेवल वाले पानी को पीने की सलाह नहीं दी जाती. इसमें हानिकारक खनिज या भारी धातुएं हो सकती हैं जो स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती हैं.
900 से ऊपर TDS हानिकारक
TDS मीटर की मदद से आप अपने पानी का TDS घर पर ही माप सकते हैं. यह एक किफायती और आसान तरीका है पानी की क्वालिटी जानने का.
पानी का TDS कैसे जांचें?
यदि आपके पानी का TDS 500 mg/L से अधिक है, तो RO आधारित वाटर प्यूरीफायर जरूरी है. यह अतिरिक्त मिनरल को हटाकर पानी को सुरक्षित बनाता है.
RO या फिल्टर कब जरूरी है?