7 June 2025
Satish Vishwakarma
जब शरीर कुछ खास चीजों को पचाता है, तो प्यूरिन नाम के तत्व टूटकर यूरिक एसिड बनाते हैं. अगर ये एसिड ज्यादा हो जाए तो जोड़ों में दर्द और गठिया जैसी समस्याएं हो सकती हैं. आयुर्वेद में कुछ जड़ी-बूटियाँ हैं जिन्हें लोग सालों से इस समस्या के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं.
गिलोय को आयुर्वेद में अमृता कहा गया है, यानी अमरता देने वाली जड़ी-बूटी. इसके गुण सूजन कम करने और शरीर को साफ करने वाले माने जाते हैं.
गिलोय
पुनर्नवा का मतलब होता है फिर से नया होना. यह शरीर में जमा फालतू पानी और यूरिक एसिड को पेशाब के रास्ते बाहर निकालने में मदद करती है. ये जड़ी-बूटी चूर्ण, काढ़े या चाय के रूप में ली जाती है.
पुनर्नवा (Punarnava)
यह किडनी को साफ रखने और यूरिक एसिड बाहर निकालने में सहायक मानी जाती है. यह चूर्ण, कैप्सूल या काढ़े के रूप में बाजार में मिलती है.
गोक्षुर (Gokshura)
त्रिफला तीन फलों यानी आँवला, हरड़ और बहेड़ा का मिश्रण होता है. यह पाचन को सुधारता है और शरीर से विषैले तत्वों को बाहर निकालने में मदद करता है. त्रिफला पाउडर या टैबलेट के रूप में सोने से पहले लिया जाता है.
त्रिफला (Triphala)
वरुण कम सुनी जाने वाली लेकिन असरदार जड़ी-बूटी है. यह किडनी और मूत्र मार्ग को साफ रखने में मदद करती है. वरुण को काढ़े या कैप्सूल के रूप में लिया जाता है ताकि यूरिक एसिड क्रिस्टल टूट सकें.
वरुण (Varun)
किसी भी जड़ी-बूटी को नियमित रूप से लेने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लें. ध्यान दें अधिक मात्रा से नुकसान भी हो सकता है.
कैसे करें इनका इस्तेमाल?
जड़ी-बूटियाँ शरीर को धीरे-धीरे और अंदर से ठीक करती हैं. अगर सही समय पर इनका इस्तेमाल शुरू किया जाए, तो यूरिक एसिड से जुड़ी समस्याओं को काफी हद तक रोका जा सकता है.
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