08/09/2025
Satish Vishwakarma
रिटायरमेंट हर किसी का बड़ा फाइनेंशियल गोल होता है. निवेशक अक्सर सोचते हैं कि क्या म्यूचुअल फंड्स इस सपने को पूरा कर सकते हैं.
म्यूचुअल फंड्स लंबे समय में संपत्ति बनाने की क्षमता रखते हैं. इक्विटी फंड्स में कंपाउंडिंग का असर सबसे ज्यादा होता है.
क्यों काम करते हैं?
अगर आप हर महीने 10,000 रुपये इक्विटी म्यूचुअल फंड में लगाते हैं और 12 फीसदी सालाना रिटर्न मानें, तो 30 साल में यह राशि 3.5 करोड़ रुपये से ज्यादा हो सकती है.
कंपाउंडिंग का जादू
युवाओं के लिए इक्विटी फंड्स बेहतर हैं. रिटायरमेंट नजदीक आने पर हाइब्रिड या डेट फंड्स में शिफ्ट करना समझदारी है. कुछ लोग रिटायरमेंट-फोकस्ड स्कीम्स में निवेश करते हैं, जिनमें उम्र के साथ जोखिम कम होता है.
किस तरह के फंड्स चुनें?
PPF, FD या पेंशन प्लान की तुलना में म्यूचुअल फंड्स में रिटर्न की संभावना ज्यादा होती है. 500 रुपये से निवेश शुरू किया जा सकता है. अलग-अलग सेक्टर और एसेट क्लास में डाइवर्सिफिकेशन मिलता है.
पारंपरिक प्रोडक्ट्स से बेहतर
म्यूचुअल फंड्स में मार्केट रिस्क होता है. गलत फंड चुनने या देर से निवेश करने पर कॉर्पस कम हो सकता है. बार-बार पैसा निकालने से कंपाउंडिंग का असर घट जाता है.
जोखिम भी समझें
ELSS फंड्स पर सेक्शन 80C के तहत टैक्स छूट मिलती है. इक्विटी म्यूचुअल फंड्स पर सालाना 1 लाख रुपये से ज्यादा के लॉन्ग-टर्म गेन पर 10 फीसदी टैक्स लगता है. इसके बावजूद रिटर्न ज्यादातर पारंपरिक निवेशों से ज्यादा होते हैं.
टैक्स बेनिफिट्स