11 July 2025
Satish Vishwakarma
AI इमोशन को टेक्स्ट या टोन से पहचान सकती है, लेकिन असल में उन्हें महसूस करना और सामने वाले से जुड़ना केवल इंसान ही कर सकता है.
रिश्तों में जो अपनापन, भरोसा और संवेदना होती है, वो सिर्फ इंसानी व्यवहार से आती है—AI उसमें सिर्फ नकल कर सकता है.
सच्चे रिश्ते बनाना
जब फैसले केवल डाटा से नहीं लिए जा सकते, तब नैतिकता, अनुभव और भावनाएं काम आती हैं. ये काम सिर्फ इंसान कर सकता है.
सही और नैतिक फैसले लेना
AI को नैतिक या सांस्कृतिक मूल्यों की समझ नहीं होती. इंसान अपने संस्कारों और मान्यताओं के हिसाब से फैसले करता है.
मूल्यों पर टिके रहना
AI जोक बना सकता है, लेकिन उसका भाव, टाइमिंग और जुड़ाव सिर्फ इंसानी अनुभव से आता है.
हंसी और मजाक की समझ
AI पहले से मौजूद डाटा से सुझाव देता है, लेकिन एकदम नई कल्पना और विचार इंसानी दिमाग की ही देन हैं.
नई सोच और कल्पना
इंसान गलतियों से सीखता है और खुद को सुधारता है, जबकि AI को वही सीखना होता है जो उसे सिखाया गया हो.
मुश्किलों से सीखना
छोटे-छोटे फैसले लेने की प्रैक्टिस इंसान को आत्मनिर्भर बनाती है, जो AI नहीं कर सकती.
अपने फैसलों पर भरोसा करना