कैसे और क्यों बनाए गए दुनिया के ये सात अजूबे

29 June 2025

Satish Vishwakarma

दुनिया में बहुत-सी जगहें ऐसी हैं जिनकी अपनी कहानी है. कुछ जगहें तो इतनी खास हैं कि उन्हें अजूबे कहा जाता है. ये सिर्फ इमारतें या संरचनाएं नहीं, बल्कि इंसानी कल्पना, मेहनत और कला का बेजोड़ नमूना हैं. ऐसे में चलिए जानते हैं इन सात अजूबों के बारे में. 

दुनिया के अजूबे

करीब 21,000 किलोमीटर लंबी ये दीवार चीन को दुश्मनों से बचाने के लिए बनाई गई थी. इसकी शुरुआत 7वीं सदी ईसा पूर्व में हुई थी और यह 17वीं सदी तक बनती रही. इसे बिना किसी आधुनिक मशीन के, सैनिकों, किसानों और कैदियों ने अपने हाथों से बनाया था.

ग्रेट वॉल ऑफ चाइना, चीन

15वीं सदी में बना यह शहर लगभग 2,430 मीटर की ऊंचाई पर है. यहां मंदिर, चौक, सीढ़ियां और फव्वारे बने हैं. आज भी ये जगह रहस्य और सुंदरता से भरी है.

माचू पिच्चू, पेरू

मुगल सम्राट शाहजहां ने इसे अपनी पत्नी मुमताज की याद में 1632 में बनवाना शुरू किया था. यह इमारत अपनी सुंदरता, नक्काशी और संतुलित डिजाइन के लिए दुनिया भर में मशहूर है.

ताजमहल, भारत

इसे 'रोज सिटी' भी कहा जाता है, क्योंकि यहां के पत्थर गुलाबी रंग के हैं. यह 4वीं सदी ईसा पूर्व की एक समृद्ध अरब सभ्यता की राजधानी थी, जो व्यापारिक रास्तों पर राज करती थी. आज यह एक ऐतिहासिक खजाना है.

पेट्रा, जॉर्डन

72 ईस्वी में इसका निर्माण शुरू हुआ था. यहां शेर, हाथी और अन्य जानवरों की लड़ाइयां भी करवाई जाती थीं. यह रोमन साम्राज्य की शक्ति और दर्शकों के मनोरंजन का प्रतीक है.

कोलोसियम, रोम (इटली)

मैक्सिको के जंगलों में बसा यह प्राचीन माया सभ्यता का केंद्र है. 5वीं से 6वीं सदी में बनी यह जगह खगोलशास्त्र, गणित और वास्तुकला में माया लोगों की समझ को दिखाती है. यहां का *एल कास्टिलो* पिरामिड सबसे प्रसिद्ध है. आज यह यूनेस्को की विश्व धरोहर भी है.

चिचेन इत्जा, मैक्सिको