भीड़-भाड़ और शोर से दूर है ये उत्तराखंड के 6 हिल स्टेशन

4 June 2025

Satish Vishwakarma

जब शहर की जिंदगी बोर करने लगे, तो पहाड़ों की गोद ही सबसे सुकून मिलता है. बता दें उत्तराखंड में ऐसी कई छोटी-छोटी जगहें हैं जो अभी भी भीड़ से बची हुई हैं. क्योंकि यहां वक्त थोड़ा धीमा चलता है.

 एक ब्रेक तो बनता है

पौड़ी गढ़वाल जिले में बसा खिरसू एक शांत और नींद में डूबा गांव है. यहां देवदार के जंगल और सेबों के बाग हैं. दूर तक बर्फ से ढके हिमालय के नजारे दिखते हैं. यहां न तो भीड़ है, न मॉल रोड, न चमकते कैफे. बस आप, एक किताब और देवदार की खुशबू.

खिरसू

नैनीताल से सिर्फ 15 किलोमीटर दूर, लेकिन एकदम अलग दुनिया. पैंगोट में 250 से अधिक प्रजातियों के पक्षी मिलते हैं. सुबह-सुबह धुंध और चहचहाहट से दिन की शुरुआत होती है. शामें अलाव और गर्म मोजों के नाम होती हैं. 

पैंगोट

मुक्तेश्वर के पास बसा पीओरा एक छोटा लेकिन बेहद खूबसूरत गांव है. यहां पत्थर की गलियां, स्लेट की छतों वाले घर और सीढ़ीनुमा खेत हैं. गांव सोलर एनर्जी पर चलता है और जिंदगी की रफ्तार बहुत धीमी है.

पियोरा

7,000 फीट की ऊंचाई पर बसा चकराता एक छावनी शहर है. यहां ट्रैफिक कम और नज़ारे ज़्यादा हैं. टाइगर फॉल्स तक बिना भीड़ के जाया जा सकता है. देवदार की खुशबू वाली पगडंडियों पर चलना और पहाड़ों से बातें करना यहाँ की खासियत है.

चकराता

धनौल्टी के पास बसा कनाताल एक ऐसा हिल स्टेशन है जो अब भी टूरिस्ट ब्रोशर से बचा हुआ है. सुबह की धुंध, छुपे हुए रास्ते और मुस्कुराते हुए लोकल लोग यहाँ का असली आकर्षण हैं. आप सितारों के नीचे कैंप कर सकते हैं या किसी पहाड़ी होमस्टे में आराम से रह सकते हैं.

कनाताल

यह शहर तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में बसा था. दमिश्क को मध्य-पूर्व के सबसे पुराने और लगातार आबाद रहने वाले शहरों में गिना जाता है. यह अपने समृद्ध इतिहास, इस्लामिक वास्तुकला और सांस्कृतिक विरासत के लिए फेमस है.

मुनस्यारी