थायरॉइड ठीक करने में असरदार हैं ये 5 योगासन, ऐसे करें सही अभ्यास

21 June 2025

Satish Vishwakarma 

थायरॉइड एक छोटा सा ग्रंथि है जो गर्दन में मौजूद होता है, लेकिन इसका असर शरीर की ऊर्जा, वजन, मूड और बालों की सेहत पर पड़ता है. अगर यह असंतुलित हो जाए तो थकान, वजन बढ़ना, चिंता और बाल झड़ना जैसी समस्याएं होने लगती हैं. ऐसे में आइए जानते हैं इसे संतुलित करने वाले योगासन. 

थायरॉइड की समस्या

इस आसन को 'आसनों की रानी' कहा जाता है क्योंकि यह सीधे थायरॉइड ग्रंथि पर असर डालता है. पीठ के बल लेटें, पैर और कमर को ऊपर उठाकर हाथों से पीठ को सहारा दें. यह गर्दन और गले में रक्तसंचार बढ़ाता है, जिससे थायरॉइड एक्टिव होता है.

सर्वांगासन (Shoulder Stand)

मत्स्यासन गर्दन को आगे से स्ट्रेच करता है और थायरॉइड को उत्तेजित करता है. सीधा लेटें, छाती को ऊपर उठाएं और पीठ को पीछे की ओर झुकाएं. यह आसन मन को शांत करता है और तनाव से राहत देता है, जो थायरॉइड संतुलन में मददगार है.

 मत्स्यासन (Fish Pose)

हलासन गर्दन पर हल्का दबाव डालता है और एंडोक्राइन सिस्टम को संतुलित करता है. पीठ के बल लेटें और पैरों को सिर के पीछे ले जाकर ज़मीन से छूने की कोशिश करें. पेट और पाचन भी बेहतर होता है, जो थायरॉइड से जुड़ा होता है.

 हलासन (Plough Pose)

इस प्राणायाम में गले को हल्का संकुचित कर के सांस लेना और छोड़ना होता है. यह थायरॉइड की कोमल मसाज करता है और तनाव कम करने में मदद करता है. रोजाना 5 मिनट का अभ्यास भी फर्क ला सकता है.

उज्जायी प्राणायाम (Victorious Breath)

यह आसान बैकबेंड है जो गले और छाती को खोलता है, जिससे थायरॉइड उत्तेजित होता है. पीठ के बल लेटें, घुटनों को मोड़ें और कूल्हों को ऊपर उठाएं. यह आसन तनाव घटाता है और पीठ की मांसपेशियों को मजबूत बनाता है.

सेतु बंधासन (Bridge Pose)

हालांकि योग को सुबह खाली पेट करें. हर आसन को अपनी सीमा में करें, शरीर पर जोर न डालें. नियमितता सबसे जरूरी है, थोड़ा रोज करें, मगर लगातार करें.

 ध्यान रखें ये बातें

थायरॉइड की समस्याएं जीवन को प्रभावित कर सकती हैं, लेकिन योग के ज़रिए आप उसे प्राकृतिक रूप से कंट्रोल कर सकते हैं. इन 5 आसनों को अपनी दिनचर्या में शामिल करें और शरीर में संतुलन लौटाएं.

थायरॉइड को बैलेंस बनाना आसान