13 June 2025
VIVEK SINGH
भारत में एयरलाइंस की जिम्मेदारी Montreal Convention 1999 के तहत तय होती है. हर मृतक को कम से कम ₹1.4 करोड़ का मुआवजा मिल सकता है, चाहे गलती किसी की भी हो.
प्लेन हादसे जैसी अनहोनी में इलाज या परिवार को मुआवजा देने के लिए इंश्योरेंस मदद करता है. इससे क्लेम की प्रक्रिया तेज होती है और आर्थिक बोझ नहीं पड़ता.
ट्रैवेल इंश्योरेंस क्यों है जरूरी?
इंश्योरेंस में एक्सीडेंटल डेथ, मेडिकल इमरजेंसी, फ्लाइट कैंसिलेशन, लगेज लॉस और हॉस्पिटल खर्च तक का कवर होता है. कुछ पॉलिसी में डिसएबिलिटी कवर भी शामिल है.
क्या-क्या कवर होता है ट्रैवेल इंश्योरेंस में?
अगर आपने बीमा नहीं लिया है, तो हादसे में नुकसान की भरपाई मुश्किल हो सकती है. कुछ कंपनियों या क्रेडिट कार्ड्स से बुकिंग पर फ्री बीमा मिलता है, चेक करना जरूरी है.
बिना इंश्योरेंस के सफर में क्या होता है?
किसी हादसे की स्थिति में सबसे पहले बीमा कंपनी को सूचित करें. फिर क्लेम फॉर्म और सभी जरूरी दस्तावेज जमा करें. वेरीफिकेशन के बाद क्लेम सेटल किया जाता है.
क्लेम कैसे करें ट्रैवेल इंश्योरेंस का?
ट्रैवेल इंश्योरेंस को समय पर खरीदें. कुछ पॉलिसी में वेटिंग पीरियड होता है. क्लेम करते समय डॉक्यूमेंट सही और पूरे रखें, जिससे प्रोसेस जल्दी पूरा हो.
मुआवजे में देरी से कैसे बचें?
अगर हादसे में एयरलाइन की गलती साबित हो जाती है, तो मुआवजे की रकम बढ़ सकती है. ऐसे मामलों में यात्री या उनके परिवार को कोर्ट का सहारा भी लेना पड़ सकता है.
एयरलाइंस की लापरवाही पर क्या होता है?