25 June 2025
VIVEK SINGH
फ्रीलांसिंग से होने वाली कमाई को इनकम टैक्स डिपार्टमेंट प्रोफेशनल या बिजनेस इनकम मानता है. यह सैलरी की तरह नहीं मानी जाती, इसलिए इसका टैक्स रिटर्न अलग तरीके से भरा जाता है.
अगर आपकी फ्रीलांस इनकम 50 लाख रुपये से कम है तो ITR-4 फॉर्म आपके लिए सही है. यह फॉर्म सेक्शन 44ADA के तहत भरा जाता है जो प्रोफेशनल्स को छूट देता है.
सेक्शन 44ADA के तहत आपकी कुल इनकम का 50 फीसदी नेट इनकम माना जाता है. इसी पर टैक्स लगता है जिससे आपको खर्चों का ब्योरा देने की जरूरत नहीं होती.
इंटरनेट, लैपटॉप, मोबाइल, यात्रा जैसे सभी खर्चों और क्लाइंट से मिली रकम का हिसाब जरूर रखें. यह आपकी इनकम को ट्रैक करने और टैक्स सही भरने में मदद करेगा.
कई बार क्लाइंट पेमेंट से पहले TDS काट लेते हैं. ऐसे में उस रकम को रिकॉर्ड करना जरूरी है ताकि ITR में सही डिटेल भरकर रिफंड क्लेम किया जा सके.
ITR भरने से पहले फॉर्म 26AS जरूर चेक करें. इसमें आपकी TDS डिटेल होती है जो यह दिखाता है कि कितने टैक्स कटे और जमा हुए हैं.
अगर आप सभी इनकम, खर्च और TDS की जानकारी सही-सही भरते हैं तो आपका टैक्स रिफंड बिना परेशानी के मिल सकता है. गलत जानकारी देने पर क्लेम रिजेक्ट हो सकता है.