01 July 2025
VIVEK SINGH
पर्सनल लोन बिना किसी सिक्योरिटी के मिलता है, इसलिए इसकी ब्याज दर ज्यादा होती है. इसका मतलब, जितना लंबा टेन्योर, उतना ज्यादा ब्याज. इसे जल्दी चुकाना फायदे का सौदा होता है.
प्री-पेमेंट के समय EMI घटाने से मासिक बोझ कम होता है, लेकिन कुल ब्याज ज्यादा देना पड़ता है. वहीं टेन्योर घटाने से ब्याज बचता है और लोन जल्दी खत्म होता है.
अगर आपके खर्च ज्यादा हैं और इनकम सीमित है, तो EMI घटाना फायदेमंद है. इससे हर महीने कैश फ्लो बढ़ता है, लेकिन लोन अवधि उतनी ही लंबी रहती है.
टेन्योर घटाने से लोन कम समय में खत्म होता है और ब्याज में बड़ी बचत होती है. इससे कुल देनदारी कम हो जाती है और क्रेडिट स्कोर भी बेहतर बनता है.
प्री-पेमेंट का मतलब है आंशिक राशि चुकाना, जिससे लोन कम होता है. प्री-क्लोजर का मतलब है पूरा लोन एक बार में चुका देना. दोनों विकल्पों में चार्जेस की जानकारी पहले ले लें.
अगर आपको बोनस, एरियर या किसी अन्य स्रोत से अतिरिक्त इनकम मिली है, तो उसका इस्तेमाल लोन प्री-पेमेंट में करें. इससे लोन की अवधि कम होगी और ब्याज में बचत होगी.
वेतन बढ़ने पर EMI की रकम बढ़ाकर आप लोन जल्दी चुका सकते हैं. इससे हर महीने ज्यादा प्रिंसिपल चुकता होगा और लोन कम समय में निपट जाएगा.
अगर किसी अन्य बैंक में कम ब्याज पर लोन मिल रहा है, तो रीफाइनेंसिंग करें. इससे नई शर्तों में लोन सस्ता हो सकता है, लेकिन अच्छी क्रेडिट हिस्ट्री जरूरी है.