15 June 2025
Satish Vishwakarma
जैसे ही बारिश धरती को भिगोती है, सूखी जमीन हरी चादर में तब्दील हो जाती है. इस दौरान पहाड़, घाटियां, पठार खिल उठते हैं, क्योंकि हर तरफ हरे-भरे घास और उनको रोशनी देने के लिए जंगली फूल नजारों पर चार चांद लगा देते हैं.
केरल, कर्नाटक और महाराष्ट्र में फ्लेम लिली आपको खूब देखने को मिलेगी. इसकी खास बात यह है कि इसकी पंखुड़ियां इसे बेहद आकर्षक बनाती हैं. यह तमिलनाडु का राजकीय फूल भी है.
फ्लेम लिली
ये पीले फूल महाराष्ट्र के कास पठार में काफी संख्या में खिलते हैं. यह फूल नमी और एसिड सॉइल में ही उगता है. इसकी खास बात यह भी है कि यह पर्यावरण को संतुलित बनाए रखने का सूचक भी है.
स्मिथिया हिर्सूटा
ब्लू इम्पेटिएंस, जिसे लोकल भाषा में नील तुरटी भी कहा जाता है, हिमालय और नॉर्थ ईस्ट में बारिश के मौसम में दिखाई देता है. इसके नीले या बैंगनी रंग के फूल झाड़ियों में चमकते हैं.
ब्लू इम्पेटिएंस
नीलकुरिंजी फूल आमतौर पर केरल के मुन्नार और एराविकुलम नेशनल पार्क में पाया जाता है. यह फूल हर 12 साल में एक बार खिलता है, लास्ट बार 2018 में खिला था और अगली बार 2030 में खिलेगा.
नीलकुरिंजी
यह ऑर्किड फैमिली का मेंबर है और आमतौर पर सह्याद्रि पर्वतमाला में देखने को मिलता है. बारिश के शुरू होते ही यह जमीन से बाहर आ जाता है और सफेद-हरे फूलों के गुच्छों में खिलता है.
हबेनारिया (Habenaria)
इन फूलों की लाइफ काफी छोटी होती है. कुछ तो सिर्फ 15 से 20 दिन ही रहते हैं, लेकिन जब ये खिलते हैं, तो पूरा लैंडस्केप बदल जाता है और लोग दूर-दूर से इन्हें देखने आते हैं.
क्यों हैं ये फूल इतने खास
क्लाइमेट चेंज और मानवीय दखल के चलते ये फूल और इनके प्राकृतिक आवास खतरे में हैं. कास पठार जैसे इलाके अब यूनेस्को की सूची में हैं, लेकिन और प्रयासों की जरूरत है ताकि आने वाली पीढ़ियां भी इन जादुई फूलों को देख सकें.
संरक्षण की जरूरत