13 June 2025
Kumar Saket
भारत में कुछ ऐसे रेस्टॉरेंट और ढाबे अब भी मौजूद हैं जहां हर पीढ़ी एक साथ बैठकर अपना पसंदीदा खाना खा सकती है. ये जगहें आज भी मसालों के साथ प्यार परोसती हैं.
इसके व्यवसाय की शुरुआत 1905 में हुई थी. इसकी स्थापना हाजी मुराद अली ने की थी. यहीं से लखनऊ के नवाब वाजिद अली शाह के दरबार के लिए गलौटी कबाब भेजा जाता था.
टुंडे कबाबी, लखनऊ
ये लखनऊ के अमीनाबाद में स्थित है. यहां की गलौटी कबाब को सबसे ज्यादा पसंद किया जाता है. इसे बनाने में 160 से अधिक प्रकार के मसाले इस्तेमाल किए जाते हैं.
अमीनाबाद, लखनऊ
साल 1924 में मैया बंधुओं ने इसकी स्थापना की थी. एमटीआर आज भी पीढ़ियों से उसी घरेलू आकर्षण और South इंडियन भोजन के साथ खाना परोसता है.
एमटीआर, (मावली टिफिन रूम) , बेंगलुरु
यह बंग्लुरु के लाल बाग में स्थित है. यहां के रावा इडली और फिल्टर कॉफी को लोग सबसे अधिक पसंद करते हैं.
इडली और फिल्टर कॉफी
कोलकाता अपनी मिठाई के लिए भी पूरे देश में प्रसिद्ध है. यहां का भीम चंद्र नाग रेस्टोरेंट आज भी अपनी परंपरागत रसगुल्ला के स्वाद को बनाए रखा है. इसकी शुरुआत 1826 में हुई थी.
भीम चंद्र नाग, कोलकाता
यह कोलकाता के निर्मल चंद्र स्ट्रीट में स्थित है. रसगुल्ले के साथ यहां का सोनदेश और मिस्टी दही लोगों को बहुत भाती है.
सोनदेश और मिस्टी दही
1940 के दशक से यह मायलापुर मेस घरलू स्वाद के साथ सादा और स्वादिष्ट टिफिन में पोंगल, चटनी परोसता है.
रायार मेस, तमिलनाडु
यह मायलापुर के अरुंडेल स्ट्रीट में स्थित है. यहां दशकों से केले के पत्तों पर पोंगल और चटनी परोसा जाता है. लोग इसके जायके के दीवाने हैं.
पोंगल और चटनी
1916 में नरिम अर्देशिर ने इसकी शुरुआत की थी. ये शुद्ध दूध की मिठाई और मलाईदार कुल्फी के लिए प्रसिद्ध है.
पारसी डेयरी फार्म, महाराष्ट्र
यह मुंबई के प्रिंसेस स्ट्रीट के मरीन लाइन्स में स्थित है. यहां के मावा नी बोई और कुल्फी को लोग सबसे अधिक पसंद करते हैं.
मावा नी बोई और कुल्फी