06 July, 2025
Kumar Saket
पैनी स्टॉक छोटे लिस्टेड कंपनी के शेयर होते हैं, जिनका मूल्य आम तौर पर 10 से 20 रुपये या अमेरिकी करेंसी में $5 से नीचे होता है. इन्हें अक्सर माइक्रोकैप स्टॉक भी कहा जाता है क्योंकि इनका मार्केट कैप बहुत कम होता है.
ये स्टॉक बहुत कम ट्रेडिंग वॉल्यूम में चले जाते हैं, जिससे इन्हें खरीदना आसान होता है, लेकिन समय पर बेचना कठिन. इससे मामूली लेन‑देन भी इनकी कीमत में बड़े उतार‑चढ़ाव ला सकते हैं.
पैनी स्टॉक की कीमत में 20 फीसदी, 50 फीसदी या उससे अधिक उतार‑चढ़ाव कुछ ही दिनों के भीतर हो सकता है. इस वजह से ये असाधारण लाभ और भारी घाटा दोनों का कारण बन सकते हैं.
ज्यादा वोलैटिलिटी
इन कंपनियों के बारे में वार्षिक रिपोर्ट, विश्लेषकों की रिपोर्ट या विश्वसनीय खबरें बहुत कम होती हैं. इसका मतलब है कि इन शेयरों की गहराई से जांच करना कठिन होता है, जिससे निवेश में जोखिम बढ़ता है.
थोड़ी‑बहुत लिक्विडिटी की वजह से ये शेयर पम्प‑एंड‑डम्प जैसी योजनाओं के लिए आसान निशाना होते हैं. इसमें मुनाफाखोर पहले शेयर की कीमत बढ़ाते हैं, फिर उसे बेचकर निवेशक को नुकसान पहुंचाते हैं.
यह शेयर प्रायः ओवर‑द‑काउंटर (OTC) बाजारों जैसे पिंक शीट्स पर ट्रेड होते हैं, जहां लिस्टिंग क्राइटेरिया बहुत हल्के होते हैं. इससे अधिक धोखाधड़ी की संभावना रहती है.
इनकी कम कीमत की वजह से निवेशक कम कैपिटल में बड़ी मात्रा खरीद सकते हैं. यदि कंपनी अच्छा प्रदर्शन करती है, तो कीमत में कई गुना बढ़ोतरी संभव है, जिससे मल्टीबैगर रिटर्न हासिल हो सकता है.