13 June 2025
Satish Vishwakarma
अहमदाबाद में हुआ एक भयानक विमान हादसा पूरी दुनिया को झकझोर कर गया है. एयर इंडिया की फ्लाइट संख्या AI171 ने जैसे ही सरदार वल्लभभाई पटेल इंटरनेशनल एयरपोर्ट से उड़ान भरी, महज दो मिनट बाद ही वह हादसे का शिकार हो गई.
इस विमान में कुल 242 लोग सवार थे, जिनमें से 241 की दर्दनाक मौत हो गई. यह हादसा इतना भीषण था कि देख कर किसी की भी रूह कांप जाए.
241 लोगों की मौत
इस प्लेन में भारत के साथ-साथ ब्रिटेन, कनाडा और पुर्तगाल के नागरिक भी सवार थे.
विदेशी नागरिक भी सवार
हादसा तब हुआ जब विमान सीधे एक मेडिकल कॉलेज से टकरा गया. इसके कारण न सिर्फ विमान में बैठे यात्रियों की जान गई, बल्कि आसपास का रिहायशी इलाका भी इसकी चपेट में आ गया.
आसपास के इलाकों को लिया चपेट
टक्कर के बाद विमान में आग लग गई और कुछ ही मिनटों में वह पूरी तरह जलकर राख हो गया. बताया जा रहा है कि आग इतनी भयंकर थी कि इलाके में कोई जानवर या पक्षी भी जीवित नहीं बचा.
सबकुछ हुआ राख
अब सवाल यह उठता है कि आखिर इस विमान हादसे की आग कितनी गर्म थी? क्या यह वाकई ज्वालामुखी से निकलने वाले लावे जितनी गर्म हो सकती है?
कितना था तापमान ?
ज्वालामुखी से निकलने वाले लावे का तापमान लगभग 1000 डिग्री सेल्सियस होता है. इसके किनारों का तापमान भी करीब 500 डिग्री सेल्सियस तक होता है, जो किसी भी जीवित चीज को जलाकर राख बना सकता है.
ज्वालामुखी का तापमान
पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, विमान हादसे के बाद मौके पर तापमान करीब 1000 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था.
1000 डिग्री सेल्सियस
यानी यह तापमान भी उतना ही था, जितना किसी सक्रिय ज्वालामुखी के लावे का होता है. यही वजह थी कि दुर्घटना स्थल पर मौजूद कोई भी इंसान, जानवर या पक्षी जीवित नहीं बच पाया.
ज्वालामुखी जितना खतरनाक