10 June 2025
Soma Roy
आजकल गाड़ी, घर, या मोबाइल जैसी चीजें लोग EMI पर खरीदते हैं. ऐसे में अगर अचानक लोन लेने वाले की मौत हो जाने पर क्या लोन का बोझ परिवार पर आता है, या बैंक इसे माफ कर देता है? क्या है नियम, जानें डिटेल.
जब आप बैंक से लोन लेते हैं, तो एक कॉन्ट्रैक्ट साइन करते हैं, जिसमें तय समय में लोन और ब्याज चुकाने की जिम्मेदारी होती है. लेकिन अगर लोन लेने वाले की मौत हो जाए, तब भी यह कॉन्ट्रैक्ट अपने आप खत्म नहीं होता है.
लोन एक कानूनी कॉन्ट्रैक्ट
अगर लोन लेने वाले की मृत्यु हो जाती है, तो लोन की जिम्मेदारी सीधे परिवार के सदस्यों पर नहीं डाली जाती. बैंक पहले यह देखता है कि लोन के समय को-एप्लीकेंट या गारंटर कौन था.
परिवार पर नहीं आता सीधा बोझ
होम लोन, एजुकेशन लोन, या जॉइंट लोन में अक्सर को-एप्लीकेंट का नाम होता है. लोन लेने वाले की मृत्यु के बाद बैंक सबसे पहले को-एप्लीकेंट से संपर्क करता है और लोन चुकाने की बात करता है.
को-एप्लीकेंट की भूमिका
अगर को-एप्लीकेंट लोन नहीं चुका पाता, तो बैंक गारंटर से संपर्क करती है. लेकिन अगर गारंटर भी लोन नहीं चुका पाता है तो बैंक आगे की कार्रवाई करती है.
गारंटर की जिम्मेदारी
को-एप्लीकेंट और गारंटर के लोन न चुका पाने पर बैंक लोन के लिए गिरवी रखी गई संपत्ति को नीलाम करके अपनी रकम वसूलता है.
संपत्ति की नीलामी का रास्ता
लोन लेने वाली की मौत के बाद ईएमआई चुकाने को लेकर परेशानी न हो ऐसे में लोन इश्योरेंस फायदेमंद साबित होता है. इसमें बीमा कंपनी बकाया EMI का भुगतान कर देती है.
काम का है लोन इंश्योरेंस