20/09/2025
Satish Vishwakarma
Fixed deposits (FDs) और debt mutual funds भारतीय निवेशकों में लोकप्रिय हैं. दोनों इक्विटी से सुरक्षित हैं, लेकिन रिटर्न, टैक्स और लिक्विडिटी के मामले में अलग हैं. यह समझना जरूरी है कि कौन सा विकल्प आपके वित्तीय लक्ष्य के लिए सही है.
FDs पूरी तरह सुरक्षित हैं और निश्चित ब्याज देती हैं, चाहे मार्केट कैसे भी हो. Debt funds सरकारी और कॉरपोरेट बॉन्ड में निवेश करते हैं और रिटर्न मार्केट पर निर्भर करता है. उच्च क्वालिटी के डेब्ट फंड स्थिर हैं, लेकिन FD जितने सुरक्षित नहीं हैं.
रिटर्न
FDs में लॉक-इन पीरियड होता है और जल्दी निकालने पर चार्ज लगता है. Debt funds अधिक लिक्विड हैं और कभी भी रिडीम किए जा सकते हैं. लेकिन रिडेम्पशन का मूल्य मार्केट पर निर्भर करता है.
Liquidity and Flexibility
FDs पर ब्याज टैक्स स्लैब के अनुसार लगता है, जो उच्च टैक्स ब्रैकेट में कम रिटर्न देता है. Debt funds कैपिटल गेन टैक्स के अंतर्गत आते हैं. 3 साल से अधिक हो तो इंडेक्सेशन के साथ LTCG टैक्स मिलता है, जिससे टैक्स बचत होती है.
टैक्स एफिशियंसी
FDs सुरक्षित, निश्चित रिटर्न और आसान हैं. रिटायर या जोखिम से बचने वाले निवेशकों के लिए उपयुक्त. Debt funds लिक्विड, बेहतर टैक्स-एफिशिएंट और थोड़े जोखिम वाले हैं. छोटे या मध्यम अवधि के निवेश के लिए सही विकल्प.
किसके लिए सही?
Debt funds में क्रेडिट और इंटरेस्ट रेट रिस्क होता है. सरकारी बॉन्ड या लिक्विड फंड सुरक्षित विकल्प हैं और अधिकांश मार्केट-लिंक्ड प्रोडक्ट्स से सुरक्षित हैं.
Debt Funds Risk