4 August 2025
VIVEK SINGH
भारत में कोई भी नागरिक कानूनी रूप से घर पर जितना चाहे उतना कैश रख सकता है. सरकार ने इस पर कोई ऊपरी सीमा तय नहीं की है, लेकिन कुछ स्थितियों में इसका हिसाब देना जरूरी होता है.
अगर आपके पास कैश है तो आपको यह साबित करना होगा कि यह पैसा किस स्रोत से आया है. जैसे कि सैलरी, बिजनेस, संपत्ति की बिक्री आदि. स्रोत वैध न होने पर टैक्स विभाग कार्रवाई कर सकता है.
कैश का सोर्स वैध होना जरूरी
यदि आप भारी नकदी रखते हैं, तो उसे इनकम टैक्स रिटर्न में दिखाना जरूरी है. आय के हिसाब से कैश डिस्क्लोज करना नियमों का पालन करने का संकेत होता है और इससे जांच से बचा जा सकता है.
ITR में होनी चाहिए कैश की जानकारी
अगर कैश का स्रोत नहीं बताया गया तो आयकर विभाग इसे "अनएक्सप्लेन इनकम" मान सकता है. ऐसे में धारा 69A के तहत 60% टैक्स के साथ सरचार्ज और सेस भी लग सकता है.
धारा 69A के तहत लग सकता है 60% टैक्स
अगर आप एक दिन में ₹2 लाख या उससे अधिक कैश किसी से लेते या देते हैं, तो यह आयकर अधिनियम की धारा 269ST का उल्लंघन है. इस पर उतनी ही राशि की पेनाल्टी लग सकती है.
₹2 लाख से ज्यादा कैश लेनदेन पर बैन
शादी, गिफ्ट या बड़ी खरीदारी जैसे मौकों पर भी ₹2 लाख से ज्यादा कैश लेना या देना गैरकानूनी है. इस नियम का उल्लंघन करने पर आयकर विभाग भारी पेनाल्टी वसूल सकता है. से नेट गेन कम होगा और टैक्स की रकम घटेगी.
गिफ्ट, शादी, या खरीदारी में भी लागू है नियम
अगर आपके पास भारी नकद है, तो उससे संबंधित सभी दस्तावेज जैसे रसीद, अकाउंट स्टेटमेंट, बिक्री या सैलरी प्रमाण सुरक्षित रखें. जांच के दौरान ये दस्तावेज बचाव में काम आएंगे.
कैश रखने से पहले रखें दस्तावेज तैयार
सरकार का जोर डिजिटल ट्रांजेक्शन पर है ताकि ट्रांसपेरेंसी बनी रहे. ज्यादा कैश ट्रांजेक्शन से संदेह पैदा हो सकता है, इसलिए कैश का सीमित उपयोग ही समझदारी है.
डिजिटल ट्रांजेक्शन को मिल रहा बढ़ावा