5 August 2025
VIVEK SINGH
अगर आप हर रोज UPI से 200, 300 या 500 रुपये खर्च करते हैं, तो यह इनकम टैक्स रिकॉर्ड में जा सकता है. यह डेटा बैंक और NPCI के जरिए विभाग तक पहुंचता है.
अगर रोजाना एक समान ट्रांजैक्शन पैटर्न दिखता है, तो विभाग यह जांच सकता है कि पैसा कहां से आ रहा है और क्यों. इससे सर्विस इनकम की पहचान होती है.
रेगुलर पैटर्न से होता है एनॉलिसिस
अगर आपको किसी काम के लिए रोज 300 रुपये मिलते हैं और सालाना 1 लाख से ऊपर चला जाता है, तो आपको ITR में इसे इनकम के रूप में दिखाना जरूरी है.
ITR में करनी होती है जानकारी शामिल
अगर UPI पेमेंट सिर्फ घरेलू जरूरतों के लिए है और आपकी आय टैक्स स्लैब में नहीं आती, तो घबराने की जरूरत नहीं. ये ट्रांजैक्शन टैक्स की कैटेगरी में नहीं आते.
घरेलू खर्च वाले न हों परेशान
अगर आप एक साल में 10 लाख रुपये या उससे ज्यादा कैश सेविंग अकाउंट में जमा करते हैं, तो इसकी जानकारी इनकम टैक्स को देनी होती है, वरना नोटिस मिल सकता है.
बैंक में कैश जमा की भी लिमिट
1 लाख या उससे ज्यादा का FD अगर कैश में किया गया है, तो IT विभाग आपसे इनकम का सोर्स और सबूत मांग सकता है. इससे बचने के लिए डिजिटल तरीका अपनाएं. से नेट गेन कम होगा और टैक्स की रकम घटेगी.
कैश में फिक्स्ड डिपॉजिट है जोखिम भरा
अगर प्रॉपर्टी खरीदते वक्त आपने 30 लाख या उससे ज्यादा का कैश पेमेंट किया है, तो रजिस्ट्रार इसकी जानकारी IT विभाग को देगा और आप पर सवाल उठ सकते हैं.
प्रॉपर्टी में कैश पेमेंट भारी पड़ सकता है
अगर आप 1 लाख रुपये या उससे ज्यादा का कार्ड बिल कैश में भरते हैं, तो विभाग इसकी जानकारी ले सकता है. सोर्स न बताने पर नोटिस और जुर्माना संभव है.
कैश से न भरें क्रेडिट कार्ड बिल