12/12/2025
Pradyumn Thakur
मेक्सिको ने भारत, चीन, दक्षिण कोरिया और कई एशियाई देशों से आने वाले सामान पर 35 से 50 फीसदी तक का टैरिफ लगाने का निर्णय लिया है. यह नियम 1 जनवरी 2026 से लागू होगा.
सरकार का कहना है कि बढ़ती विदेशी प्रतिस्पर्धा से घरेलू उद्योग और नौकरियां खतरे में हैं. ऑटो, टेक्सटाइल, स्टील, प्लास्टिक और फुटवियर जैसे क्षेत्रों को सुरक्षा देने के लिए आयात शुल्क बढ़ाना जरूरी है.
मेक्सिको का अनुमान है कि नए टैरिफ से 2026 में लगभग 3.7 अरब डॉलर की अतिरिक्त कमाई होगी. यह पैसा सरकार के बजट घाटे को कम करने, वित्तीय स्थिति सुधारने और घरेलू आर्थिक नीतियों को मजबूत करने में मदद करेगा.
कई विशेषज्ञों का कहना है कि हाई टैरिफ वैश्विक सप्लाई चेन पर दबाव डाल सकता है. इससे कच्चे माल की कीमत बढ़ेगी, महंगाई बढ़ेगी और उद्योगों की प्रोडक्शन लागत भी बढ़ेगी.
टैरिफ ऐसे समय में बढ़ाए गए हैं जब अमेरिका लैटिन अमेरिकी देशों को चीन से दूरी रखने के लिए दबाव डाल रहा है. मेक्सिको का बड़ा व्यापारिक साझेदार अमेरिका है, इसलिए इस फैसले को अमेरिका की नीतियों के अनुरूप कदम माना जा रहा है.
मेक्सिको यह कदम USMCA की अगली समीक्षा से पहले अमेरिका को संतुष्ट करने के लिए उठा सकता है। इससे अमेरिकी टैरिफ बढ़ोतरी की संभावित धमकियों को कम किया जा सकता है और दोनों देशों के बीच व्यापारिक विवादों को नियंत्रित रखा जा सकता है।
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप पहले ही मेक्सिको पर 25% टैरिफ लगा चुके हैं और समय-समय पर और टैरिफ लगाने की चेतावनी देते रहते हैं.
मेक्सिको यदि आयात पर अधिक निर्भर वस्तुओं पर भारी टैरिफ लगाता है तो महंगाई और लागत दोनों बढ़ेंगी. घरेलू प्रोडक्शन महंगा हो सकता है.