किस्तों में सोना खरीदने का है प्लान? जानिए कैसे करें शुरुआत 

26/10/2025

SATISH VISHWAKARMA 

त्योहारों या शादी से पहले लोग सोना किस्तों में खरीदना पसंद करते हैं. ज्वेलर्स के गोल्ड सेविंग स्कीम से आप हर महीने तय रकम जमा करते हैं और बाद में उसी रकम से ज्वेलरी खरीद सकते हैं. लेकिन कुछ छोटी गलतियां इस स्कीम को नुकसानदायक बना सकती हैं.

त्योहारी सीजन में गोल्ड 

ज्यादातर स्कीम 10 से 12 महीने की होती हैं. हर महीने तय रकम जमा करनी होती है. अवधि पूरी होने पर उतनी रकम की ज्वेलरी खरीदी जा सकती है. कुछ ज्वेलर्स बोनस या ब्याज जैसी पेशकश भी करते हैं. साइन करने से पहले सभी शर्तें ध्यान से पढ़ें.

कैसे काम करती है गोल्ड स्कीम

कई बार मेकिंग चार्ज या वेस्टेज आपकी सेविंग को कम कर देता है. कुछ स्कीम सिर्फ 22 कैरेट ज्वेलरी पर लागू होती हैं. पूछ लें कि मेकिंग चार्ज माफ हैं या कम किए गए हैं. अगर निवेश के लिए खरीद रहे हैं, तो ज्वेलरी की जगह गोल्ड कॉइन या बार लेने का विकल्प देखें.

प्योरिटी और मेकिंग चार्ज जरूर जांचें

अधिकतर ज्वेलर्स की स्कीमें RBI से रेगुलेटेड नहीं होतीं. अगर ज्वेलर का बिजनेस बंद हो गया तो आपका पैसा फंस सकता है. बेहतर है कि किसी भरोसेमंद ब्रांड या SEBI-रेगुलेटेड डिजिटल गोल्ड प्लेटफॉर्म की स्कीम चुनें.

 स्कीम रेगुलेटेड है या नहीं, जांच लें

हर किस्त पर रसीद या डिजिटल कन्फर्मेशन लेना न भूलें. कैश में बिना डॉक्यूमेंट पेमेंट न करें. इससे पारदर्शिता बनी रहती है और रिडेम्प्शन के समय किसी विवाद में सबूत के तौर पर काम आता है.

हर पेमेंट की रसीद संभालें

ज्वेलर स्कीम के अलावा सरकारी विकल्प भी मौजूद हैं. जैसे Sovereign Gold Bonds या Gold ETFs. ये सरकारी गारंटी वाले होते हैं, ज्यादा पारदर्शी हैं और गोल्ड प्राइस के साथ ब्याज भी देते हैं.

दूसरे विकल्पों से तुलना करें

अगर आप ज्वेलरी खरीदने की योजना बना रहे हैं तो ज्वेलर की स्कीम ठीक है. लेकिन निवेश के मकसद से गोल्ड खरीदना चाहते हैं तो सरकारी या डिजिटल विकल्प ज्यादा बेहतर हैं.

कब चुनें ज्वेलर की स्कीम