18 August 2025
Satish Vishwakarma
अक्सर लोग महीने की शुरुआत में सैलरी पाते ही खुश हो जाते हैं, लेकिन 10 से 15 दिन में ही पैसे कम पड़ने लगते हैं. कमरे का किराया, EMI,ग्रोसरी और शॉपिंग जैसे खर्च पूरे बजट को बिगाड़ देते हैं. ऐसे में बार-बार यह सोचते हैं कि अगले महीने से पैसे अच्छे से मैनेज करूंगा, लेकिन दोबारा वही गलती दोहराते हैं.
ऐसे में इस समस्या का सबसे आसान समाधान है 50/30/20 रूल. यह एक स्मार्ट बजटिंग फार्मूला है.
बजट बनाने का आसान तरीका
इसके तहत हमारी सैलरी (टैक्स कटने के बाद) को तीन हिस्सों में बांटा जाता है. 50 फीसदी जरूरतों के लिए, 30 फीसदी इच्छाओं के लिए और 20 फीसदी सेविंग्स व इन्वेस्टमेंट के लिए. इससे हमारी बचत पक्की होती है.
क्या है यह?
हमारी सैलरी का आधा हिस्सा सिर्फ बुनियादी जरूरतों के लिए होना चाहिए. इसमें किराया, EMI, ग्रोसरी, बिजली-पानी, बच्चों की फीस, इंश्योरेंस प्रीमियम जैसे जरूरी खर्च आते हैं. अगर इन्हें समय पर नहीं चुकाया गया तो दिक्कतें बढ़ सकती हैं.
50% जरूरतों के लिए क्यों ?
काम के साथ हर इंसान को जिंदगी का आनंद लेना चाहिए. जैसे शॉपिंग, बाहर खाना, मूवी, ट्रेवलिंग और वीकेंड प्लान्स. लेकिन इन पर हद से ज्यादा खर्च करना बजट बिगाड़ देता है.
30% इच्छाओं पर क्यों
हर महीने सैलरी का कम से कम 20 फीसदी सेविंग्स और इन्वेस्टमेंट में लगाना चाहिए. यह हिस्सा आपकी फाइनेंशियल सिक्योरिटी का आधार है. आप इसे इमरजेंसी फंड, FD, SIP, म्यूचुअल फंड या रिटायरमेंट प्लान में डाल सकते हैं.
20% सेविंग्स
मान लीजिए आपकी सैलरी 50,000 रुपये है. इस हिसाब से आपको 25,000 जरूरतों के लिए, 15000 इच्छाओं के लिए, 10,000 सेविंग्स और इन्वेस्टमेंट के लिए.
ऐसे समझे