1 सितंबर से बदलेंगे ये 5 नियम, आपकी जेब पर होगा सीधा असर

27 August 2025

Kumar Saket

1 सितंबर 2025 से कई अहम नियम बदलने जा रहे हैं, जिनका सीधा असर आपकी जेब पर पड़ेगा. चांदी की हॉलमार्किंग से लेकर SBI कार्ड फीस, एलपीजी सिलेंडर की नई दरें, एटीएम चार्ज और FD ब्याज दरों में संभावित बदलाव... ये सभी आपके बजट को प्रभावित करेंगे. आइए जानते हैं किन नियमों पर सबसे ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है.

1 सितंबर 2025

1 सितंबर से SBI क्रेडिट कार्ड उपयोगकर्ताओं को ज्यादा सावधान रहना होगा. ऑटो-डेबिट फेल होने पर अब 2% पेनाल्टी लगेगी और अंतरराष्ट्रीय ट्रांजैक्शन पर अतिरिक्त शुल्क देना होगा. पेट्रोल-डीजल खरीद और ऑनलाइन शॉपिंग पर भी ज्यादा फीस लग सकती है. साथ ही रिवॉर्ड प्वाइंट्स का मूल्य घटने की संभावना है, इसलिए खर्च पर नजर रखना जरूरी है.

SBI credit card

हर महीने की तरह 1 सितंबर को घरेलू रसोई गैस सिलेंडर की नई दरें तय होंगी. एलपीजी की कीमतें अंतरराष्ट्रीय कच्चे तेल और कंपनियों की कैलकुलेशन पर निर्भर करती हैं. अगर दरें बढ़ीं तो रसोई का खर्च बढ़ेगा और अगर घटीं तो राहत मिलेगी. ऐसे में घर के बजट पर सीधा असर दिखेगा.

LPG सिलेंडर की नई कीमतें

सितंबर में कई बैंक अपनी फिक्स्ड डिपॉजिट दरों की समीक्षा कर सकते हैं. अभी ज्यादातर बैंकों में 6.5% से 7.5% तक ब्याज मिल रहा है, लेकिन बाजार के संकेत दरों में कटौती की ओर इशारा कर रहे हैं. निवेशकों को जल्दी फैसला लेना पड़ सकता है ताकि मौजूदा ऊंची दरें लॉक हो सकें. यह खासकर वरिष्ठ नागरिकों के लिए अहम है.

FD ब्याज दरों पर असर

कुछ बैंक एटीएम ट्रांजैक्शन को लेकर नई शर्तें लागू कर रहे हैं. मंथली लिमिट से ज्यादा कैश निकालने पर अब ज्यादा चार्ज देना होगा. बैंक डिजिटल ट्रांजैक्शन को बढ़ावा देना चाहते हैं, इसलिए एटीएम उपयोग महंगा होता जा रहा है. ऐसे में अनावश्यक कैश निकासी से बचना समझदारी होगी.

ATM लेन-देन के नए नियम

सरकार अब सोने की तरह चांदी पर भी हॉलमार्किंग को अनिवार्य करने जा रही है. इससे बाजार में नकली चांदी पर नकेल कसा जाएगा. हालांकि, इस कदम से चांदी की कीमतों पर भी असर पड़ सकता है.

चांदी की हॉलमार्किंग अनिवार्य

ये सारे बदलाव अलग-अलग दिखते हों लेकिन इनका असर सीधे उपभोक्ताओं की जेब पर होगा. चाहे निवेश के फैसले हों, रसोई का खर्च हो या बैंकिंग लेन-देन, हर स्तर पर लागत बढ़ने या घटने का असर महसूस होगा. परिवारों को अपनी वित्तीय योजना उसी अनुसार बदलनी होगी.

जेब पर सीधा असर