25/10/2025
SATISH VISHWAKARMA
FOIR का मतलब है Fixed Obligation to Income Ratio.यह आपकी मासिक इनकम का वह हिस्सा होता है जो आप हर महीने EMI, क्रेडिट कार्ड बिल या किसी और कर्ज की किस्त में चुकाते हैं.
जब आप किसी बैंक या फाइनेंस कंपनी से लोन लेते हैं, तो वे आपकी आय और खर्च का संतुलन देखते हैं. अगर आपकी आय का बड़ा हिस्सा पहले से किस्तों में जा रहा है, तो नया लोन मिलना मुश्किल हो जाता है.
FOIR क्यों है जरूरी
FOIR निकालने का तरीका बहुत आसान है. आप अपने सभी मासिक फिक्स खर्च जैसे EMI, किराया, क्रेडिट कार्ड भुगतान आदि जोड़ लें. फिर उसे अपनी नेट मासिक आय से विभाजित करें और 100 से गुणा करें.
FOIR कैसे निकाला जाता है
ज्यादातर बैंक और लेंडर 50% से कम FOIR पसंद करते हैं. मतलब आपकी आधी सैलरी से ज्यादा हिस्सा EMI या लोन की किस्त में नहीं जाना चाहिए. अगर FOIR 40% से नीचे है, तो आपकी लोन लेने की संभावना बहुत मजबूत होती है.
FOIR कितना होना चाहिए
लेंडर यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि आपका बजट ज्यादा दबाव में न आए. कम FOIR बताता है कि आपकी आय स्थिर है और EMI चुकाने की क्षमता अच्छी है. ज्यादा FOIR बताता है कि आपकी आर्थिक स्थिति पर पहले से लोन का बोझ है.
FOIR क्यों अहम है
आपका FOIR तय करता है कि बैंक आपको कितनी राशि तक लोन देगा. अगर आपका FOIR 60% से ऊपर है, तो लोन की राशि घट सकती है या ब्याज दर बढ़ सकती है. भले ही आपका क्रेडिट स्कोर अच्छा हो, पर ज्यादा FOIR आपकी क्षमता को सीमित कर देता है.
FOIR लोन राशि को कैसे प्रभावित करता है
पुराने लोन जल्द चुकाएं ताकि मासिक EMI का बोझ घटे. एक साथ कई नए लोन न लें. साइड इनकम या बोनस से आय बढ़ाएं. अगर आपके पास हाई इंटरेस्ट लोन हैं, तो उन्हें कंसोलिडेट कर एक ही लोन में बदलें ताकि EMI कम हो सके.
FOIR कम करने के तरीके