21 August 2025
Satish Vishwakarma
रिटायरमेंट लाइफ का वह दौर है जब हमारी सारी जिम्मेदारियां पूरी हो चुकी होती हैं और हम आराम से जीना चाहते हैं. अधिकतर लोग नौकरी के दौरान EPF, PPF, FD या SIP जैसे साधनों में बचत तो करते हैं लेकिन रिटायरमेंट प्लानिंग को लेकर ज्यादा सोचते नहीं हैं.
रिटायरमेंट सिर्फ पैसा बचाने का नाम नहीं बल्कि एक ऐसी योजना है जिसमें हमारी जरूरतें, महंगाई, स्वास्थ्य और अनिश्चित हालात सब शामिल होते हैं.
होता है सहारा
कई लोग रिटायरमेंट के बाद शानदार जीवन जीने का सपना देखते हैं लेकिन उनकी बचत उसके मुताबिक नहीं होती है. उदाहरण के तौर पर जल्दी रिटायर होना एक अच्छा विकल्प है, लेकिन इसका मतलब है कि आपको लंबी रिटायरमेंट अवधि के लिए ज्यादा निवेश करना होगा.
अस्पष्ट लक्ष्य
महंगाई वह छुपा हुआ दुश्मन है जो समय के साथ आपकी बचत की ताकत कम करता है. आज का 1 लाख रुपये, 20 साल बाद बहुत छोटा लग सकता है. अगर आपने केवल सुरक्षित साधनों में पैसा रखा तो रिटायरमेंट में पैसों की कमी महसूस होगी.
महंगाई को नजरअंदाज करना
रिटायरमेंट का मतलब यह नहीं कि अचानक खर्च नहीं आएंगे. बीमारी, घर की रिपेयर या परिवार की मदद जैसे हालात किसी भी समय आ सकते हैं. अगर आपके पास इमरजेंसी फंड नहीं है तो आपको अपनी लंबी अवधि की निवेश राशि तोड़नी पड़ सकती है.
इमरजेंसी फंड न होना
कई लोग EPF से पैसा निकालकर घर बनाने या बड़े खर्च पूरे करने की कोशिश करते हैं, लेकिन यह गलती फ्यूचर में उन्हें मुश्किल में डाल सकती है. EPF का उद्देश्य रिटायरमेंट में आर्थिक सुरक्षा देना है, इसलिए इसे बीच में निकालने से बचें. इसी तरह, PPF को भी हल्के में लेना गलत है.
EPF और PPF से जुड़ी गलतियां
रिटायरमेंट के बाद सबसे बड़ा खर्च मेडिकल का होता है. कंपनी का हेल्थ कवरेज नौकरी छोड़ते ही खत्म हो जाता है, इसलिए अलग से हेल्थ इंश्योरेंस खरीदना जरूरी है. जितनी जल्दी इसे खरीदेंगे, प्रीमियम उतना कम और कवरेज उतना अधिक मिलेगा.
टर्म इंश्योरेंस की अहमियत
रिटायरमेंट प्लानिंग में सबसे बड़ी गलती टालमटोल है. उदाहरण के लिए, अगर आप 25 साल की उम्र में 15,000 रुपये की SIP शुरू करते हैं तो 12 फीसदी रिटर्न पर आप लगभग 10 करोड़ रुपये जमा कर सकते हैं.
गलत एसेट एलोकेशन