13/09/2025
Satish Vishwakarma
NPS का मकसद लोगों को रिटायरमेंट के लिए एक बड़ा फंड बनाने का मौका देना है. ज्यादातर लोग 50 साल के बाद ही रिटायरमेंट की प्लानिंग शुरू करते हैं, लेकिन अगर कोई 60 साल से पहले ही NPS चुन लेता है, तो उसके निवेश को लंबे समय तक बढ़ने का मौका मिलता है.
NPS में सैलरीड और सेल्फ-एम्प्लॉयड लोग दोनों निवेश कर सकते हैं. इसमें पैसा इक्विटी, कॉर्पोरेट बॉन्ड और गवर्नमेंट सिक्योरिटीज में लगाया जाता है. इसका रिटर्न मार्केट पर आधारित होता है. मैच्योरिटी पर निवेशक को 60 फीसदी तक का हिस्सा टैक्स-फ्री निकालने का विकल्प मिलता है.
NPS कैसे मदद करता है
NPS निवेश सेक्शन 80C (1.5 लाख रुपये) और सेक्शन 80CCD(1B) (₹50,000) के तहत टैक्स डिडक्शन देता है. यानी इसमें निवेश करने से हर साल टैक्स बचत होती है. अगर कोई जल्दी निवेश करना शुरू करता है, तो सालों तक टैक्स बचत भी होती है और वही बचाया पैसा भी निवेश में जाता है.
टैक्स बेनिफिट्स का फायदा
मान लीजिए कोई व्यक्ति 30 साल की उम्र से हर महीने 5,000 रुपये NPS में डालता है. 60 साल की उम्र तक यानी 30 साल में उसे 9 फीसदी एवरेज रिटर्न पर 1.5 करोड़ रुपये से ज्यादा मिल सकते हैं. वहीं, अगर वही निवेश 45 साल की उम्र से शुरू किया जाए तो कॉर्पस शायद 50 लाख रुपये से भी कम होगा.
लंबे समय में कॉम्पाउंडिंग का जादू
NPS में निवेशक के पास यह विकल्प होता है कि वह कितना पैसा इक्विटी, कॉर्पोरेट डेट या गवर्नमेंट सिक्योरिटीज में लगाए. युवा निवेशक ज्यादा इक्विटी चुन सकते हैं ताकि तेजी से पैसा बढ़े और उम्र बढ़ने पर सुरक्षित विकल्प चुन सकते हैं.
इन्वेस्टमेंट मैनेजमेंट की आजादी
NPS में कुछ शर्तें भी हैं. आंशिक निकासी केवल शिक्षा, शादी या घर खरीदने जैसे कुछ खास कारणों से ही संभव है और वह भी लॉक-इन पीरियड के बाद. साथ ही, रिटायरमेंट पर एन्युटी खरीदना जरूरी है, जिससे नियमित आय सुनिश्चित हो सके.
निवेश से पहले ध्यान देने योग्य बातें
NPS को जल्दी अपनाने का मतलब है कि समय आपके साथ है. जितनी जल्दी शुरुआत करेंगे, उतना बड़ा फंड बनेगा. टैक्स बेनिफिट्स और कॉम्पाउंडिंग दोनों मिलकर रिटायरमेंट के लिए मजबूत आधार तैयार करते हैं. भारतीय निवेशकों के लिए, जो अक्सर रिटायरमेंट प्लानिंग में देर कर देते हैं.
सुरक्षित रिटायरमेंट का रास्ता