कम पानी, कम खर्च और ज्यादा उत्पादन, नेचुरल फार्मिंग के ये मूल मंत्र हैं बेहद कारगर; जानें पूरी प्रक्रिया

नेचुरल फार्मिंग एक तेजी से अपनाई जा रही खेती पद्धति है, जिसमें कम पानी, कम खर्च और ज्यादा उत्पादन किसानों को बड़ा लाभ देता है. इसमें बीज उपचार के लिए बीजामृत, फसल ग्रोथ के लिए जीवामृत और कीट नियंत्रण के लिए नीमास्त्र जैसे प्राकृतिक घोल इस्तेमाल होते हैं. मल्चिंग मिट्टी की नमी बनाए रखती है और सिंचाई का खर्च घटाती है.

नेचुरल फार्मिंग नेचुरल फार्मिंग देशभर में तेजी से फैल रही एक ऐसी खेती पद्धति बन गई है, जिसमें लागत कम, मिट्टी की सेहत बेहतर और किसानों की आमदनी में लगातार बढ़ोतरी देखी जा रही है. रसायनों की जगह जैविक घोल, जुताई की जगह मिट्टी को आराम और फसलों की रक्षा के लिए प्रकृति से सहारा, इन सिद्धांतों पर चलने वाली यह खेती अब गांवों में नई उम्मीद लेकर आई है. ऐसे में यह जानना जरूरी है कि नेचुरल फार्मिंग में किन-किन चीजों का इस्तेमाल होता है और कैसे रसायन से मुक्त खेती हो रही है.
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बीजों का उपचार नेचुरल फार्मिंग में पहला पड़ाव होता है बीजों का उपचार. बीजों का उपचार करने के लिए बीजामृत का इस्तेमाल होता है. बीजामृत को बीजों में मिलाया जाता है और उसके बाद उनकी बुवाई होती है. बीजामृत देसी गाय के गोबर, गौमूत्र, चूना और मिट्टी से बनाया जाता है. ऐसे में किसानों को रासायनिक कीटनाशक या महंगी कोटिंग नहीं करनी पड़ती. इससे खर्च घटता है और मिट्टी भी रसायनों से बचती है.
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फसल के ग्रोथ के लिए जीवामृत जीवामृत नेचुरल फार्मिंग का सबसे जरूरी और सबसे शक्तिशाली जैविक घोल है. इसे मिट्टी को जीवित बनाने, उसमें सूक्ष्मजीव बढ़ाने और फसल की बढ़त तेज करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. यह खेत के लिए टॉनिक जैसा काम करता है. जीवामृत देसी गाय के गोबर, गौमूत्र, गुड़, बेसन से तैयार होने वाला एक सूक्ष्मजीव-वर्धक घोल है. इसे बनाकर आप अपने खेत में छिड़काव कर सकते हैं. इससे आपको रासायनिक खाद की जरूरत नहीं पड़ती और फसल का ग्रोथ अच्छा होता है.
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ऐसे बनता है कीटनाशक नीमास्त्र नेचुरल फार्मिंग में इस्तेमाल होने वाला एक शक्तिशाली जैविक कीटनाशक है. यह नीम की पत्तियों, फल (निम्बोली), गौमूत्र और गोबर से बनता है. पूरी तरह प्राकृतिक होने की वजह से यह खेत, मिट्टी, फसल को बेहतर रखता है और कीटों से सुरक्षित रखता है. जब भी आपको लगे कि आपके खेतों में कीड़े बढ़ रहे हैं, तो आप इसका छिड़काव कर सकते हैं.
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मल्चिंग है जरूरी नेचुरल फार्मिंग में मल्चिंग सबसे जरूरी कदम माना जाता है. यह मिट्टी के ऊपर पत्तों, घास, फसल-अवशेष या सूखी जैविक सामग्री की परत होती है. मल्च की वजह से सूरज की गर्मी सीधे मिट्टी पर नहीं पड़ती. इससे पानी धीरे-धीरे सूखता है और मिट्टी लंबे समय तक नम रहती है. इससे सिंचाई का खर्च 30-50 फीसदी तक कम होता है.
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