कृषि समाचार
भारत का चावल स्टॉक रिकॉर्ड हाई पर पहुंचा, एक्सपोर्ट में आ सकता है 25 फीसदी का उछाल; जमकर हुई धान की खरीदारी
बढ़ते स्टॉक से दुनिया के सबसे बड़े चावल एक्सपोर्टर को शिपमेंट बढ़ाने में मदद मिल सकती है, जिससे थाईलैंड, वियतनाम और पाकिस्तान जैसे प्रतिद्वंद्वियों की सप्लाई पर दबाव पड़ेगा. राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन को उम्मीद है कि इस साल भारत से चावल का एक्सपोर्ट पिछले साल के मुकाबले करीब 25 फीसदी बढ़कर रिकॉर्ड 22.5 मिलियन टन हो जाएगा.
FPO मॉडल में बड़ा बदलाव! सरकार 5 साल और देगी सहारा, नई स्कीम में आएंगे अहम सुधार
कृषि क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण नीति से संबंधित बड़ा अपडेट सामने आया है, जो आने वाले वर्षों में किसान समूहों और ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर असर डाल सकता है. सरकार इस पहल से जुड़े कई ढांचागत और वित्तीय मुद्दों को नए तरीके से सुधारने की योजना बना रही है. सभी की निगाहें अब औपचारिक घोषणा पर टिकी हैं.
ऐसे करें अनार की खेती, 40–60% तक होगी पानी की बचत; जानें सही प्रक्रिया
अनार की खेती कम पानी में अधिक उत्पादन देने वाली सफल फसल मानी जाती है. सही किस्म जैसे Bhagwa, Super Bhagwa और वैज्ञानिक पद्धति से रोपाई करने पर किसान बेहतर फल गुणवत्ता और ज्यादा उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं. बाजार में अनार की कीमत 70 से 120 रुपये प्रति किलो तक मिल जाती है, जिससे किसानों को अच्छी कमाई होती है.
फिर सातवें आसमान पर पहुंचे टमाटर के भाव, एक महीने में 26% चढ़ा, इन फैक्टर्स ने बिगाड़ा खेल
टमाटर की कीमतों में जबरदस्त उछाल देखने को मिल रहा है. थाेक में भाव बढ़ने से रिटेल मार्केट में भी टमाटर की कीमतें सातवें आसमान पर पहुंच गई हैं. इसके महंगे होने से आम आदमी का बजट गड़बड़ा गया है. तो क्या है टमाटर के महंगे होने की वजह, जानें डिटेल.
बदलती खेती के साथ बदली सिंचाई, ये हैं 5 प्रकार के इरिगेशन सिस्टम; जानें कौन सा है फायदेमंद
बदलती खेती के दौर में सही इरिगेशन सिस्टम का चयन किसानों के लिए बेहद जरूरी हो गया है. सर्फेस इरिगेशन सिस्टम जहां परंपरागत और कम लागत वाला विकल्प है, वहीं ड्रिप इरिगेशन सिस्टम कम पानी में अधिक उत्पादन देने में सहायक साबित होता है. स्प्रिंकलर इरिगेशन सिस्टम गैर समतल खेतों के लिए उपयोगी माना जाता है.
शहर से गांव तक लोकप्रिय हो रही स्ट्रोबेरी की खेती, जानिए पूरा प्लान, सही समय और बेस्ट तरीका
भारत में स्ट्रोबेरी की खेती तेजी से किसानों के बीच लोकप्रिय हो रही है. यह खेती कम समय में अच्छा उत्पादन और बेहतर मुनाफा देने वाली मानी जाती है. सितंबर से नवंबर के बीच रोपाई करने पर जनवरी से अप्रैल तक फल बाजार में आ जाते हैं. सही मिट्टी, उन्नत किस्म के पौधे, ड्रिप सिंचाई, प्लास्टिक मल्चिंग और संतुलित उर्वरक प्रयोग से उत्पादन में बढ़ोतरी होती है.
फूड पावडर का बढ़ता ट्रेंड, किचन की बदल रही हैं आदतें; इतना बड़ा है मार्केट
फूड पावडर का ट्रेंड तेजी से बढ़ रहा है और किचन की आदतों में बड़ा बदलाव ला रहा है. वेजिटेबल, फ्रूट, स्पाइस और हेल्थ पावडर जैसे कई विकल्प आज मार्केट में उपलब्ध हैं, जो कुकिंग को आसान बनाते हैं और पोषण वैल्यू भी बढ़ाते हैं. फूड पावडर की शेल्फ लाइफ लंबी होती है, स्टोरेज आसान होता है और इसका उपयोग होटल इंडस्ट्री से लेकर घरों तक तेजी से बढ़ रहा है.
फ्रोजन मटर कैसे बनती है? जानें खेत से फैक्टरी तक की पूरी प्रोसेस
फ्रोजन मटर कैसे बनती है, इसकी पूरी प्रोसेस खेत से फैक्टरी तक कई सटीक स्टेप्स में पूरी होती है. सबसे पहले किसानों से ताजी मटर खरीदी जाती है और उसी दिन प्रोसेस की जाती है ताकि मिठास और रंग सुरक्षित रहें. फैक्टरी में दानों की छंटाई और ग्रेडिंग के बाद मटर को ब्लान्चिंग करके एन्जाइम एक्टिविटी रोक दी जाती है.
मिट्टी से मंडी तक: ऐसे ऑर्गेनिक खेती बदल रही किसानों की कमाई; जमीन से सीधे थाली तक पहुंच रहा उत्पादन
ऑर्गेनिक खेती जमीन से लेकर बाजार तक किसानों की कमाई का नया रास्ता बना रही है. मिट्टी की सेहत को नेचुरल तरीके से मजबूत करने से लेकर देसी बीजों की वापसी, ड्रिप इरिगेशन के जरिये पानी की बचत और केमिकल इनपुट को कम करने जैसे कदम खेती को सस्टेनेबल बना रहे हैं.
कम पानी, कम खर्च और ज्यादा उत्पादन, नेचुरल फार्मिंग के ये मूल मंत्र हैं बेहद कारगर; जानें पूरी प्रक्रिया
नेचुरल फार्मिंग एक तेजी से अपनाई जा रही खेती पद्धति है, जिसमें कम पानी, कम खर्च और ज्यादा उत्पादन किसानों को बड़ा लाभ देता है. इसमें बीज उपचार के लिए बीजामृत, फसल ग्रोथ के लिए जीवामृत और कीट नियंत्रण के लिए नीमास्त्र जैसे प्राकृतिक घोल इस्तेमाल होते हैं. मल्चिंग मिट्टी की नमी बनाए रखती है और सिंचाई का खर्च घटाती है.
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