शेयर मार्केट न्यूज

Stocks to Watch: 3 दिसंबर को इन 12 शेयरों में रहेगी हलचल, फंड जुटाने से लेकर अधिग्रहण तक बड़े अपडेट्स

बुधवार, 3 दिसंबर के ट्रेड में बाजार की नजर उन 12 शेयरों पर रहेगी जिनसे जुड़ी बड़ी घोषणाएं मंगलवार को सामने आईं. SBI, HDFC Bank और ICICI Bank को फिर D-SIBs की कैटेगरी में रखा गया है, जबकि IRFC, Canara Bank और Bajaj Finance ने फंडिंग और हिस्सेदारी बिक्री से जुड़े अहम अपडेट दिए हैं.

इस अल्कोहल स्टॉक में आ सकती है तेजी, ब्रोकरेज ने 35% रिटर्न के लिए खरीदने की दी सलाह, बताया टारगेट प्राइस

ब्रोकरेज ने तिलकनगर इंडस्ट्रीज़ पर बाय रेटिंग बरकरार रखते हुए ₹650 का टारगेट दिया है. यानी इस शेयर में करीब 35 प्रतिशत की तेजी आने की उम्मीद है. Q2FY26 में कंपनी का वॉल्यूम 16.3% बढ़कर 34.2 लाख केस हुआ और रेवेन्यू 9.3% बढ़ा. निवेशक लंबी अवधि के लिए इसे शेयर पर नजर रख सकते हैं.

Market Outlook 3 Dec: निफ्टी में शॉर्ट टर्म डाउन ट्रेंड, रुपये की कमजोरी और FII बिकवाली ने बदला सेंटिमेंट

कमजोर रुपये, लगातार FII बिकवाली और NSE सेक्टोरल ओवरहॉल के दबाव में बाजार बेयरिश ट्रेंड में दिख रहा है. मंगलवार को Sensex 503 अंक और Nifty 143 अंक टूटा. निफ्टी 26,000 के करीब फिसला और शॉर्ट-टर्म ट्रेंड कमजोर हुआ. अब कहां है सपोर्ट और कब मिलेगी तेजी, जानें क्या है एक्सपर्ट की राय?

1226 करोड़ का है पोर्टफोलियो फिर भी ‘चीता’ नहीं ‘कछुआ’ स्टॉक्स में निवेश कर रहा यह दिग्गज निवेशक, बताई वजह

दिग्गज निवेशक विजय केडिया ने कहा है कि मौजूदा बाजार में मल्टीबैगर खोजने का समय नहीं है, इसलिए वे तेजी वाले “चीता स्टॉक्स” की बजाय सुरक्षित “कछुआ स्टॉक्स” में निवेश कर रहे हैं. फिलहाल वे PSU बैंक और चीनी ETFs में पोजिशन बनाए हुए हैं. केडिया का मानना है कि अभी पूंजी बचाने और सुरक्षित आइडियाज में निवेश करना बेहतर रणनीति है, जब तक अगला असली बुल मार्केट शुरू न हो जाए.

ड्रोन-रडार बनाने के लिए नई कंपनी को मिला सरकारी लाइसेंस, खबर के बाद 4% उछला ये मल्टीबैगर स्टॉक

इस मल्टीबैगर डिफेंस कंपनी को सरकार से 15 साल का इंडस्ट्रियल लाइसेंस मिला है, जिसके बाद इसके शेयरों में 4 फीसदी से ज्यादा की तेजी देखी गई. यह लाइसेंस कंपनी को ड्रोन (UAS), इनर्शियल नेविगेशन सिस्टम (INS) और एडवांस्ड रडार इक्विपमेंट बनाने की अनुमति देता है, जिससे उसके डिफेंस प्रोजेक्ट में बड़ी तेजी आने की उम्मीद है. कंपनी ने पिछले कुछ समय में दमदार रिटर्न भी दिया है.

Closing Bell: लगातार तीसरे दिन निफ्टी-सेंसेक्स लाल, रुपये की कमजोरी और FII आउटफ्लो से बढ़ा दबाव

लगातार तीसरे दिन शेयर बाजार के बेंचमार्क इंडेक्स निफ्टी और सेंसेक्स लाल निशान में बंद हुए. रुपये की रिकॉर्ड कमजोरी, भारी FII आउटफ्लो और सेक्टोरल इंडेक्स रिबैलेंसिंग का दबाव पूरे बाजार पर देखने को मिल रहा है. बैंकिंग, फाइनेंशियल और मिडकैप-स्मॉलकैप इंडेक्स में गिरावट, जबकि PSU बैंकों और चुनिंदा FMCG-IT शेयरों ने सीमित सहारा दिया.

Katrina Kaif की Kay Beauty का जलवा, ₹350 करोड़ पहुंची सालाना बिक्री; सेलिब्रिटी ब्रांड्स में सबसे आगे

कैटरीना कैफ की मेकअप ब्रांड Kay Beauty की ग्रोथ भारत के सेलेब्रिटी ब्रांड्स में सबसे मजबूत बनी हुई है. कंपनी ने पिछले साल की तुलना में 46 फीसदी की तेज बढ़ोतरी की है और इसके ग्रॉस सेल्स 350 करोड़ रुपये तक पहुंच गए हैं. ब्रांड की ई कॉमर्स पकड़ और विदेशों में विस्तार ने इसे मार्केट में मजबूत स्थान दिया है. दूसरी ओर कई सेलेब्रिटी ब्रांड अब भी घाटे और कमजोर सेल्स से जूझ रहे हैं.

GDP 8%, मार्केट रिकॉर्ड हाई पर… फिर भी क्यों भाग रहे हैं विदेशी निवेशक? FIIs की बिकवाली के पीछे 4 बड़े कारण

FPI निवेशक अभी भी फ्यूचर्स मार्केट में 85% नेट शॉर्ट पोजिशन में हैं और कैश मार्केट में भी बिकवाली कर रहे हैं. टैक्स नियम सख्त होने, भारतीय बाजारों के महंगे होने, कम कमाई की उम्मीद, रुपये की कमजोरी और अमेरिका-भारत व्यापार अनिश्चितता ने विदेशी निवेशकों का भरोसा कमजोर किया है.

नए हाई पर Sensex-Nifty, फिर भी रिटेल निवेशकों ने 2 महीने में बेच दिए ₹25000 करोड़ के शेयर, क्या है डर का कारण

Sensex और Nifty नई ऊंचाइयों पर पहुंचने के बावजूद रिटेल निवेशक लगातार बाजार से दूरी बना रहे हैं. अक्टूबर और नवंबर में उन्होंने लगभग 25300 करोड़ रुपये की बिकवाली की है. निवेशकों की चिंता बढ़ी वोलैटिलिटी, वैल्यूएशन और ग्लोबल अनिश्चितता के कारण बढ़ रही है. बाजार चढ़ रहा है लेकिन रिटेल भावना कमजोर रहने से यह प्रवृत्ति निवेश पैटर्न पर बड़ा असर डाल सकती है.

Rupee vs Dollar: रुपया फिर रिकॉर्ड लो पर, 90 अब दूर नहीं; इन वजहों से गिरावट जारी

रुपये के और कमजोर होने की चिंता में इंपोर्टर अपनी डॉलर हेजिंग आगे ला रहे हैं, जिससे रुपये पर और दबाव आया है. दूसरी तरफ, एक्सपोर्टर अपने डॉलर कन्वर्जन को टाल रहे हैं ताकि आगे और बेहतर रेट मिल सके. कई जानकार उम्मीद कर रहे थे कि अगर ट्रेड डील होती है तो रुपये के सेंटिमेंट में सुधार आता, लेकिन डील न होने से रुपये पर एक और नेगेटिव असर जुड़ गया है.