रियल एस्टेट समाचार
House Price Index में 2.2% की वार्षिक बढ़त, RBI ने जारी किया Q2 डाटा, जानें क्या होगा इसका असर?
RBI के ताजा आंकड़ों के मुताबिक ऑल इंडिया हाउस प्राइस इंडेक्स (HPI) ने Q2 2025-26 में सालाना आधार पर सिर्फ 2.2% की बढ़त दर्ज की, जो पिछले साल के 7% से काफी कम है. तिमाही आधार पर HPI 0.6% गिरा है. नागपुर, गाजियाबाद और चंडीगढ़ जैसे शहरों ने इंडेक्स को सपोर्ट किया जबकि कोलकाता, चेन्नई और लखनऊ से दबाव आया.
क्या Registration Bill 2025 बनेगा प्रॉपर्टी विवादों का फाइनल सॉल्यूशन? जानें कैसे बदल सकता है पूरा सिस्टम
इंडियन रजिस्ट्रेशन बिल 2025 का आना एक शानदार कदम है. इसका मकसद 1908 के रजिस्ट्रेशन एक्ट को बदलना है. ग्रामीण विकास मंत्रालय ने इस साल मई में इस ड्राफ्ट बिल को पेश किया है. बता दें जमीन और संपत्ति से जुड़े विवाद देश में होने वाले दीवानी मुकदमों का दो-तिहाई हिस्सा बनाते हैं. ऐसे में आइए जानते हैं कैसे यह नया बिल देश की जमीन विवाद का एक बड़ा हल है.
REITs को इंडेक्स में शामिल करने की बड़ी तैयारी! सेबी चीफ तुहिन पांडे बोले- लिक्विडिटी बढ़ाने का समय आ गया
SEBI जल्द REITs को मार्केट इंडेक्स में शामिल करने की दिशा में काम करेगा. इससे लिक्विडिटी बढ़ेगी और रिटेल व संस्थागत निवेशकों की भागीदारी में तेजी आ सकती है. सितंबर 2025 में SEBI बोर्ड ने REITs को इक्विटी कैटेगरी में क्लासिफाई करने का बड़ा फैसला लिया, जबकि InvITs को हाइब्रिड कैटेगरी में ही रखा गया.
नया-पुराना घर में आपके लिए कौन सा विकल्प है बेहतर, जान लें नफा-नुकसान ,रीसेल प्रॉपर्टी में होते हैं ये जोखिम
नया घर खरीदना एक बड़ा फैसला है. प्राइमरी मार्केट (नया घर) आधुनिक सुविधाएं, RERA सुरक्षा और बेहतर भविष्य की वैल्यू देता है. वहीं, सेकंडरी मार्केट (रीसेल) तैयार घर, पुराने इलाके और कई बार कम कीमत पर मिलता है. अपने बजट, जरूरतों और भविष्य के लक्ष्यों को ध्यान में रखकर ही सही चुनाव करें. यह आपके लिए एक स्मार्ट निवेश साबित होगा.
दुबई में शाहरुख खान के नाम पर बनेगा ‘Shahrukhz’ टावर, मेन गेट पर लगेगी सिग्नेचर पोज वाली स्टैच्यू
दुबई में सुपरस्टार शाहरुख खान के नाम पर एक शानदार कमर्शियल टावर बनाए जाने की घोषणा की गई है, जिसका नाम "Shahrukhz" रखा गया है. 2029 तक तैयार होने वाले इस टावर के प्रवेश द्वार पर अभिनेता की मशहूर ‘ओपन आर्म्स’ पोज में एक भव्य स्टैच्यू भी लगाई जाएगी. इस सम्मान पर शाहरुख ने X पर भावुक नोट लिखते हुए कहा कि दुबई में अपने नाम का लैंडमार्क मिलना उनके लिए बेहद खास है.
घर खरीदने से पहले इन 13 डॉक्यूमेंट्स की जरूर करें पड़ताल, नहीं तो आ सकता है कानूनी नोटिस
कभी-कभी घर खरीदते वक्त लोग मान लेते हैं कि हर डॉक्यूमेंट देखना जरूरी नहीं है, लेकिन यही लापरवाही आगे चलकर बड़ा झंझट खड़ा कर देती है. Taxbuddy.com ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर घर खरीदने से पहले चेक किए जाने वाले जरूरी दस्तावेजों की एक लिस्ट शेयर की है. इसके मुताबिक, कई बार बिना जानकारी के खरीदार ऐसे केस में फंस जाते हैं
हरियाणा सरकार दे रही है आवासीय प्लॉट खरीदने का मौका, 13 नवंबर है रजिस्ट्रेशन की आखिरी तारीख, जानें पूरी प्रक्रिया
हरियाणा सरकार दीन दयाल जन आवास योजना के तहत नए आवासीय प्लॉटों का रजिस्ट्रेशन शुरू कर दिया है. यह योजना हरियाणा रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी द्वारा अप्रूव्ड है, यानी पूरी तरह से कानूनी और सुरक्षित है. इस बार योजना के तहत हरियाणा के सेक्टर 24 में लोगों को प्लॉट अलॉट किए जाएंगे. ऐसे में आइए जानते हैं पूरी प्रक्रिया.
अब जमीन की लोकेशन और यूज से तय होगी सर्किल रेट, UP में लागू हुआ नया स्टैंडर्ड सिस्टम; पूरे प्रदेश में होगा एक जैसा नियम
उत्तर प्रदेश में अब जमीन का सर्किल रेट उसकी लोकेशन और यूज के आधार पर तय होगा. स्टांप एवं रजिस्ट्रेशन विभाग ने नया स्टैंडर्ड सिस्टम लागू किया है जिसके तहत सड़क से सटी जमीन का रेट ज्यादा और अंदरूनी इलाके की जमीन का रेट कम होगा. इससे ट्रांसपेरेंसी बढ़ेगी और लोग सॉफ्टवेयर के जरिए प्रॉपर्टी वैल्यू घर बैठे जान सकेंगे.
FY26 में हाउसिंग सेल वैल्यू में 19% की छलांग, वॉल्यूम में बदलाव नहीं, प्रीमियम सेगमेंट ने बढ़ाई रफ्तार: रिपोर्ट
FY26 में देश के हाउसिंग मार्केट में वैल्यू ग्रोथ 19% तक बढ़ने का अनुमान है. हालांकि, इस दौरान सेल वॉल्यूम लगभग स्थिर रहने का अनुमान है. रियल एस्टेट कंसल्टेंसी फर्म ANAROCK की रिपोर्ट के मुताबिक देश के टॉप 7 शहरों में 6.65 लाख करोड़ से अधिक के घर बिक सकते हैं.
Joint Development Agreement: रियल एस्टेट का नया गेम-चेंजर मॉडल, जिससे जमीन के बिना भी कमाए जा सकते हैं लाखों रुपये
आजकल एक ऐसा मॉडल तेजी से पॉपुलर हो रहा है जिसमें न जमीन खरीदने की जरूरत है और न ही बड़े इन्वेस्टमेंट की. इसे Joint Development Agreement (JDA) कहा जाता है. इस मॉडल में जमीन किसी और की होती है और डेवलपमेंट का काम डेवलपर करता है. दोनों पार्टियां एक कॉन्ट्रैक्ट के जरिए तय करती हैं कि प्रोजेक्ट से होने वाला मुनाफा किस अनुपात में बांटा जाएगा.
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