ये रहे भारत के सबसे पुराने स्विमिंग पूल, जानिए उनसे जुड़ी दिलचस्प कहानियां

भारत में तैराकी और पानी से जुड़े स्थल कोई नई चीज नहीं हैं. कई सदियों पहले ही यहां मंदिरों और महलों के पास तालाब और बावड़ियां बनाई जाती थीं, जहां लोग नहाते, तैरते और धार्मिक अनुष्ठान करते थे. ये पुराने तालाब अपने समय के सुंदरतम स्विमिंग पूल्स कहे जा सकते हैं. हालांकि आधुनिक स्विमिंग पूल और तैराकी क्लबों की शुरुआत भारत में ब्रिटिश काल में हुई. अंग्रेजों ने सबसे पहले स्विमिंग क्लब बनाए और तभी से देश में स्विमिंग पूल्स का चलन शुरू हुआ. ऐसे में आइए जानते हैं भारत के सबसे पुराने स्विमिंग पूल कौन है.

ये रहे भारत के सबसे पुराने स्विमिंग पूल, जानिए उनसे जुड़ी दिलचस्प कहानियां
भारत के सबसे पुराने स्विमिंग पूल
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ये रहे भारत के सबसे पुराने स्विमिंग पूल, जानिए उनसे जुड़ी दिलचस्प कहानियां
यह पूल ब्रिटिश काल में 1887 में बनाया गया था और शुरुआत में केवल गोरे पुरुषों के लिए ही खोला गया था. यह स्ट्रैंड रोड पर स्थित है और एक समय में कोलकाता के सामाजिक और औपनिवेशिक जीवन का हिस्सा था.
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मुंबई के साउथ बॉम्बे में स्थित यह पूल ब्रीच कैंडी स्विमिंग बाथ ट्रस्ट के अंतर्गत आता है और 1876 में बना था. यह पूल समुद्र के किनारे स्थित है और इसका आकार आयताकार न होकर प्राकृतिक समुद्री किनारे जैसा है.
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यह कोलकाता का पहला भारतीय तैराकी क्लब था, जिसकी शुरुआत यूनिवर्सिटी के गोल्डीघी तालाब में हुई थी. क्लब के सचिव प्रमोथ नाथ घोष के नेतृत्व में इसे खेल प्रेमियों की टीम ने बनाया है. इसके शुरुआती सदस्यों में महाराज, जज और बड़े व्यापारी घराने शामिल थे.
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आंध्र यूनिवर्सिटी भारत की पहली यूनिवर्सिटी थी, जिसने अपने परिसर में स्विमिंग पूल बनाया है. यह पूल पुराने पोस्ट ऑफिस के पास था और 1962 तक चालू रहा. बाद में इसे बंद कर दिया गया.
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